बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 13 April 2018

डर की सीख


डर का कोई घर नही है
कब आता कोई खबर नही है
हर मन में छुपा होता है
सामने आने से डर डरता है
थोड़ी झिझक से थोड़ी हिचक से
हर कोई इसे छुपाता है
पर मत भूलना एक बात कभी
हर ढंग में हर जंग को
ये डर ही तो जिताता है
अगर रहना हो तुझे सावधान
तो डर का ज़रूर कर सामना
फ़िर साहस के तुझको पंख लगेंगे
हिम्मतों के पुल बँधेंगे
डर को भी गुरु बना लेना
फ़िर हर मुश्किल को हरा देना
डर से घबराने की कोई बात नही
डर को अपनाने की बस बात सही
दंभ का भी करता है विनाश यही
तो डरने से कभी मत चूकना
हर बार डर से जीतना
फ़िर विजय सिंघासन पे तू बैठना
डर से सदा बस सीखना

                          #आँचल 

19 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 16 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी बिलकुल आऊँगी
      अति आभार सुप्रभात

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  2. वाह क्या बात है आंचल बहना।
    डर को ही प्रेरणा बना ले
    हर मुश्किल आसान बनाले ।
    प्रेरणा प्रेसित करती रचना

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    1. आपके इस उत्साहवर्धक सराहना के लिए अति आभार सुप्रभात

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  3. बहुत सुन्दर... डर निडर बनने की सीख देता है

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    1. जी बिलकुल
      धन्यवाद सुप्रभात

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  4. वाह !!!!
    बहुत खूब...

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    1. अति आभार सुप्रभात

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  5. वाहःह
    बहुत सुंदर

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    1. धन्यवाद सुप्रभात

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  6. बहुत खूबसूरत रचना...सत्य का दर्पण दिखाती

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    1. उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए अति आभार
      सुप्रभात

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  7. बहुत सुंदर प्रेरक रचना आँचल....👌

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    1. आपको पसंद आयी सार्थक हो गयी
      धन्यवाद दीदी जी
      सुप्रभात

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  8. वाह!!बहुत खूबसूरत रचना!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका शुभ दिवस

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  9. हमारे blog के post पढ़ने के लिए और उसे सराहने के लिए शुक्रिया आपको अच्छा लगा हमारा सौभाग्य था
    जी अवश्य आऊँगी आपके blog पर
    धन्यवाद सुप्रभात

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