डर का कोई घर नही है
कब आता कोई खबर नही है
हर मन में छुपा होता है
सामने आने से डर डरता है
थोड़ी झिझक से थोड़ी हिचक से
हर कोई इसे छुपाता है
पर मत भूलना एक बात कभी
हर ढंग में हर जंग को
ये डर ही तो जिताता है
अगर रहना हो तुझे सावधान
तो डर का ज़रूर कर सामना
फ़िर साहस के तुझको पंख लगेंगे
हिम्मतों के पुल बँधेंगे
डर को भी गुरु बना लेना
फ़िर हर मुश्किल को हरा देना
डर से घबराने की कोई बात नही
डर को अपनाने की बस बात सही
दंभ का भी करता है विनाश यही
तो डरने से कभी मत चूकना
हर बार डर से जीतना
फ़िर विजय सिंघासन पे तू बैठना
डर से सदा बस सीखना
#आँचल
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 16 अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बिलकुल आऊँगी
Deleteअति आभार सुप्रभात
वाह क्या बात है आंचल बहना।
ReplyDeleteडर को ही प्रेरणा बना ले
हर मुश्किल आसान बनाले ।
प्रेरणा प्रेसित करती रचना
आपके इस उत्साहवर्धक सराहना के लिए अति आभार सुप्रभात
Deleteबहुत सुन्दर... डर निडर बनने की सीख देता है
ReplyDeleteजी बिलकुल
Deleteधन्यवाद सुप्रभात
वाह !!!!
ReplyDeleteबहुत खूब...
अति आभार सुप्रभात
Deleteवाहःह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
धन्यवाद सुप्रभात
Deleteबहुत खूबसूरत रचना...सत्य का दर्पण दिखाती
ReplyDeleteउत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए अति आभार
Deleteसुप्रभात
बहुत सुंदर प्रेरक रचना आँचल....👌
ReplyDeleteआपको पसंद आयी सार्थक हो गयी
Deleteधन्यवाद दीदी जी
सुप्रभात
वाह!!बहुत खूबसूरत रचना!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका शुभ दिवस
Deleteबेहद उम्दा रचना.....
ReplyDeleteधन्यवाद आपका
Deleteहमारे blog के post पढ़ने के लिए और उसे सराहने के लिए शुक्रिया आपको अच्छा लगा हमारा सौभाग्य था
ReplyDeleteजी अवश्य आऊँगी आपके blog पर
धन्यवाद सुप्रभात