आप के कदमो तले पलाश काश बिछा दुँ मैं
आपकी इस ज़िंदगी को महकी बगिया बना दूँ मैं
आपके बहते अश्क को माथे अपने चढ़ा लूँ मैं
तू ही जन्नत
तू खुदा है
तुझमें ही सारा जहाँ है
हाथ सिर पे जो फेरे तू
तक़दीर अपनी पलट गयी
साथ मेरे जो हो ले तू
ये कायनात मेरी हुई
पैरों पे तेरे सिर झुका के
रब को भी आगे झुका लूँ
फ़ितरतें एसी है तेरी राख भी पारस हुआ है
आग भी आगे तेरे चाँद सा शीतल हुआ है
आपकी इस ज़िंदगी को महकी बगिया बना दूँ मैं
आपके बहते अश्क को माथे अपने चढ़ा लूँ मैं
तू ही जन्नत
तू खुदा है
तुझमें ही सारा जहाँ है
हाथ सिर पे जो फेरे तू
तक़दीर अपनी पलट गयी
साथ मेरे जो हो ले तू
ये कायनात मेरी हुई
पैरों पे तेरे सिर झुका के
रब को भी आगे झुका लूँ
फ़ितरतें एसी है तेरी राख भी पारस हुआ है
आग भी आगे तेरे चाँद सा शीतल हुआ है
ए बादलों के बादशाह
ए इस जहाँ के शंहशाह
माफ़ कर मेरी भूल को जो ना मानूँ तेरे उसूल को
हक़ दूंगी ना पहले तुझे
मेरे रब की पहले इबादतें
मेरी माँ से पहली चाहतें
पिता से सारी राहतें
इनकी करू बस इबादतें
इनसे ही सारी रहमतें
मेरी बरकत इन्हीं की ज़हमतें
ए खुदा तुझसे बड़ा मेरा वालिदैन है
ए खुदा तुझसे बड़ा मेरा वालिदैन है -2
ए इस जहाँ के शंहशाह
माफ़ कर मेरी भूल को जो ना मानूँ तेरे उसूल को
हक़ दूंगी ना पहले तुझे
मेरे रब की पहले इबादतें
मेरी माँ से पहली चाहतें
पिता से सारी राहतें
इनकी करू बस इबादतें
इनसे ही सारी रहमतें
मेरी बरकत इन्हीं की ज़हमतें
ए खुदा तुझसे बड़ा मेरा वालिदैन है
ए खुदा तुझसे बड़ा मेरा वालिदैन है -2
#आँचल
वाह...
ReplyDeleteबेहतरीन
सादर
अति आभार
Deleteशुभ रात्रि
बहुत उच्च भावों से सजी माता पिता के सजदे मे समर्पित रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
Deleteशुभ रात्रि
लाजवाब और अनुकरणीय काव्य भाव .....आँचल मेरी प्यारी बहन धन्यवाद आपके इस लेखन के लिये !
ReplyDeleteसमय परक रचना जिसे आज की पीढ़ी को पढ़ना चाहिये
साधुवाद प्रिय मेरी समस्त शुभ कामनाएं तुम्हारे साथ ! 👌❤
धन्यवाद दीदी जी बहुत खूब समझा आपने हमारे भावों को
Deleteजी बिलकुल इसी बात को मद्देनजर रखकर हमने ये कविता लिखी है
आपको पसंद आयी सार्थक हो गयी और आपका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ मिल गयी तो बस और क्या चाहिए मेरी कलम का तो भाग्य बन गया
अति आभार दीदी जी सुप्रभात 🙇
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 12 अप्रैल 2018 को प्रकाशनार्थ 1000 वें अंक (विशेषांक) में सम्मिलित की गयी है।
प्रातः 4 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक अवलोकनार्थ उपलब्ध होगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर।
सधन्यवाद।
जी ज़रूर आऊँगी
Deleteबहुत आभार सुप्रभात 🙇
माँको पहला स्थान तो स्वयं ईश्वर भी देते हैं ... उनकी पूजा तो वैसे भी मुकम्मल हो जाती है जब माँ की सेवा हो जाती है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना है ...
जी बिलकुल प्रथम स्थान माता पिता का ही है
Deleteधन्यवाद सुप्रभात
प्रिय आंचल जी -- माता -पिता को समर्पित बेहतरीन भाव और सुंदर रचना |
ReplyDeleteअति आभार रेणु जी सुप्रभात
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