बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday, 11 April 2018

दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे

ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
कितने भी हो जखम
हँस के सह लेंगे हम
अगर हो मुश्किल घड़ी
फ़िर भी लड़ लेंगे हम
साथ लड़ने का भी एक बहाना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
ये दूरी और फ़ासले
इनको तू ही नाप ले
तेरी यादों में आकर
हम साँस लें
याद करने का भी एक बहाना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
तुझसे रूठेंगे हम
तुझको मनायेंगे हम
यूँही लड़ते झगड़ते
संग चल देंगे हम
साथ चलने का भी एक बहाना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे 
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
सारे शिकवे शिकन
थोड़े हलके सितम
सब कुछ भुला देंगे हम
पर ना खफ़ा होंगे हम
माफ़ करने का भी एक बहाना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
दोस्ती को तुम्ही संग निभाना रहे
हर जनम अपना ये याराना रहे
ए खुदा है दुआ ये अफ़साना रहे
जब तलक तेरी ज़िंदगी में जीना रहे
दोस्ती का यही एक ठिकाना रहे -3
                                  #आँचल

6 comments:

  1. This post is dedicated to all my friends

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  2. वाह दीदी.... एकदम कोहराम मचा दी आप तो 😆😆

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  3. कुछ कम भी मिले जिंदगी में तो कोई गम नही
    महफिल आबाद रहे दोस्तों से फिर कुछ कम नही।
    बहुत बहुत सुंदर रचना प्रिय आंचल।

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    1. +Kusum Kothari वाह क्या बात कही आपने दीदी जी
      वाक़ई ज़िंदगी कितना भी दे फर्क नही पड़ता अगर उसके दिए खुशी और गम बाँटने के लिए दोस्त साथ हो
      बहुत बहुत धन्यवाद सुप्रभात 🙇

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  4. लाज़बाब रचना मैत्री पर।

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