बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Monday 26 December 2022

स्वाभिमान की भूख

निशातगंज चौराहे पर
पुल के नीचे,
दस - ग्यारह साल का वह बच्चा,
मैले कपड़े,बिखरे बाल,
धूल से सने उसके चंचल पाँव
जगह - जगह दौड़कर 
मेरे आगे ठहरे,
याचना को उसके हाथ फैले,
और उसकी आँखें....
वे आशान्वित आँखें 
मेरी सेंडल बनाते हुए 
बग़ल में बैठे 
उस मोची पर टिकीं,
मैं देख बड़ी हैरान हुई,
कुछ अजब - सी यह बात हुई,
मेरे आगे हाथ फैलाकर
मोची से कैसे आस लगी?
मैं गहरी सोच में डूबी 
एकटक उसे देख रही थी,
उसकी वे आँखें पढ़ रही थी।
उसकी आँखों में 
' स्वाभिमान ' की भूख थी,
और फैले हाथों में आज की भूख,
आशा से भरी वे आँखें 
कल स्वाभिमान से 
रोटी कमाने का हुनर सीख रही थीं।
वह ख़ाली हाथ और 
स्वाभिमान की भूख लिए आगे बढ़ गया
और मैं वहीं खड़ी सोचती रही
कि जो मुझे स्वाभिमान का मोल सिखा गया 
उसे गुरु दक्षिणा में 
मैं भला क्या दे सकती थी?

#आँचल 

Thursday 1 December 2022

सावधान!

मशालें बुझने लगी हैं,
अँधेरे की ताक़त बढ़ने लगी है,
और कर्तव्य-पथ से भटके हुए 
ढ़ीठ,आलसी,लापरवाह लोग सो रहे हैं।
सावधान!
जनता के महल को लूटा जाने वाला है।
सभ्य डाकुओं की टुकड़ी 
आगे बढ़ रही है,
जनता सो रही है और जगाने वालों का मुँह सिल दिया गया है।

#आँचल