हे सर्वव्यापी सर्वेश्वर
क्यू लोप हुआ तू धरती पर
कभी था कण कण में तेरा घर
अब बस कलजुग वजूद हर घर
और धर्म,पुण्य सब पाप हुआ
अधर्मासुर का राज हुआ
यहाँ सत्य,ईमान सब नाश हुआ
और दया,प्रेम का विनाश हुआ
काम,लोभ का माप बढ़ा
बंटवारे पे रोता बाप खड़ा
कोई रौंद गया आँचल ममता का
लूट गया काजल रमणी का
हरपल कुदरत का काल हुआ
गंगा,तुलसी का घुट कर बुरा हाल हुआ
और दानव ने मनु को गोद लिया
फ़िर तम का मनु सिरताज बना
तब हनन धर्म अस्तित्व हुआ
घोर कलजुग अस्तित्व से घिरी धरा
ये भूमि असुरों का लोक हुआ
मनुदानव से हर देव डरा
पापी के पाप का भरा घड़ा
और धरती पर हाहाकार मचा
अब जग ने बस तेरा नाम जपा
हे नाथ बस तेरा नाम जपा
क्यू लोप हुआ तू धरती पर
कभी था कण कण में तेरा घर
अब बस कलजुग वजूद हर घर
और धर्म,पुण्य सब पाप हुआ
अधर्मासुर का राज हुआ
यहाँ सत्य,ईमान सब नाश हुआ
और दया,प्रेम का विनाश हुआ
काम,लोभ का माप बढ़ा
बंटवारे पे रोता बाप खड़ा
कोई रौंद गया आँचल ममता का
लूट गया काजल रमणी का
हरपल कुदरत का काल हुआ
गंगा,तुलसी का घुट कर बुरा हाल हुआ
और दानव ने मनु को गोद लिया
फ़िर तम का मनु सिरताज बना
तब हनन धर्म अस्तित्व हुआ
घोर कलजुग अस्तित्व से घिरी धरा
ये भूमि असुरों का लोक हुआ
मनुदानव से हर देव डरा
पापी के पाप का भरा घड़ा
और धरती पर हाहाकार मचा
अब जग ने बस तेरा नाम जपा
हे नाथ बस तेरा नाम जपा
#आँचल
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (30-04-2017) को "अस्तित्व हमारा" (चर्चा अंक-2956) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
जी बहुत धन्यवाद राधा जी
Deleteसुप्रभात
शुभ दिवस 🙇
बहुत शानदार रचना।बेहद उम्दा भाव।
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीदी जी आपके इस उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए
Deleteसुप्रभात
शुभ दिवस
वाह ! सुंदर !
ReplyDeleteअति आभार शुभ दिवस
Deleteअति सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार अन्नु दीदी
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