बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Monday 28 June 2021

चंदा कैसे हैं सबके मामा?


 अम्मा मुझको एक बात बताओ 

ये चंदा जो मेरे मामा हैं 
ये तेरे भी तो मामा हैं?
और तुझसे भी पहले से ये 
नानी के भी मामा हैं!
तेरे-मेरे-नानी के मामा
तो किसके हैं ये दादा-नाना?
अम्मा मुझको एक बात बताओ 
चंदा कैसे हैं सबके मामा?

#आँचल 

Wednesday 16 June 2021

मैं करती रहूँगी प्रयास

 


जब भी जन-जागरण हेतु 

लेखनी उठाती हूँ 

और पुनः प्रयास को सज होती हूँ 

एक परोक्ष-सी लड़की की अट्टहास  

मेरे कानों में गूँजती है

और तभी अँधेरा छा जाता है,

उस घोर अंधकार से ' निराशा ' आती है,

मुझे देख मुस्कुराती है,

मेरा आलिंगन करती है

और सांत्वना देने का ढोंग करते हुए 

मुझसे कहती है -

" व्यर्थ हैं तुम्हारे सारे प्रयास। 

छोड़ दो यह पागलपन 

और सबकी तरह तुम भी 

स्वयं पर विचार करो,

स्वार्थ का शृंगार करो।"

पर मैं हठी, तंज़ निगाहों से 

उसकी ओर देखती हूँ 

फिर अधरों पर 

मुस्कान को सजाते हुए 

उससे कहती हूँ -

"मैं करती रहूँगी प्रयास।

आज भी और मेरे अंत के पश्चात भी।"


#आँचल 


Monday 14 June 2021

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर

 


ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल,

ढोलकी की थाप पर नाच रहे चोर,

चोरों की ताल पर नाचे जो राजा....

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

बाजे रे बाजा।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


काँए-काँए कौए के 

कड़वे हैं बोल,

कड़वे इन बोलों में मिश्रि तो घोल,

मिश्रि के घोल में झूठ के दाने....

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

कौआ लगा गाने।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


ढाँक-ढाँक रखो रे 

रानी की डोल,

रानी की डोल में राजा की पोल,

खोली जो पोल तो होगा हंगामा...

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

नाचे सुदामा।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


#आँचल

Sunday 6 June 2021

तत्क्षण पांडव तजो द्यूत।

 (प्रस्तुत पंक्तियाँ वर्तमान परिस्थितियों पर मेरी प्रतिक्रिया है। शोषित पांडव अर्थात् साधारण जनता के प्रति मेरा संदेश।)


तत्क्षण पांडव तजो द्यूत 

और कुरुक्षेत्र को कूच करो,

स्वविवेक का शस्त्र धरो 

और कर्मनिष्ठ हो युद्ध करो।


सह शोषण जो मौन को साधोगे 

वनवास की पीड़ा भोगोगे

क्या दोगे परिचय जग को अपना?

अज्ञातवास को जाओगे।


आर्तनाद सुनकर भी जब 

राजा सुख से सोता हो,

दुर्योधन की मनमानी पर 

ढोंग के मोती बोता हो,

तब झूठ से ऐसा द्रोह करो,

राजा से यूँ विद्रोह करो,


तत्क्षण पांडव तजो द्यूत 

और कुरुक्षेत्र को कूच करो।


शकुनी के पासों के आगे 

कबतक ' आँसू ' जीतोगे?

लूटेगा वो तबतक तुमको 

जबतक तुम लुटने दोगे।


सिंहासन अधिकार तुम्हारा,

तुम ही इसके राजा हो।

'राजा' जो है दास तुम्हारा 

उसके चरणों में बैठे हो!!


त्याग दो एसी कायरता 

और वीरों-सा शृंगार करो।

तत्क्षण पांडव तजो द्यूत 

और कुरुक्षेत्र को कूच करो।


तत्क्षण पांडव तजो द्यूत 

और कुरुक्षेत्र को कूच करो।


#आँचल