बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday 22 April 2020

क्या काग़ज़ से कोरोना भी डरे?

वात्सल्य में ऐसे विवश हुए
धृतराष्ट्र सब ताले तोड़ चले,
अवाक् ज़माना देख रहा
कैसे क़ानून मुरीद हुआ?
जो ग़रीब हुआ वो सोच रहा 
संग अपने नियमों में भेद हुआ,
हम थे घर को तरस रहे 
बिन घोड़ा-गाड़ी ही दौड़ पड़े,
क्यों हम पर लाठी-बौछार पड़ी?
एक काग़ज़ पर राजा की बात बनी!
काग़ज़ आगे सब नियम धरे!
क्या काग़ज़ से कोरोना भी डरे?
वात्सल्य विजय के ढोल बजे 
' कर्तव्य ' परास्त भूमि में पड़े।

#आँचल 

Tuesday 21 April 2020

मौत के असफ़ार में आख़िर कब तक बचोगे?


आदमियत भूल गया था जो वो आदमी क़ैद है,
क़ुदरत पर क़हर ढ़ानेवालों ये रुस्वा वक़्त का तैश है।

लूटकर आशियाँ जिनका अपना मकाँ बनाते हो,
आज बंद तुम दीवारों में और इन परिंदों के ऐश हैं।

इन बंद इबादत-ख़ानों में अब कहाँ कोई हितैष है,
वो जिन पर थूकते हो तुम वो ख़ुदा हैं जो मुस्तैद हैं।

जिससे हारा हो ज़माना भला उससे कैसे जीतोगे?
जब रंजिशों को पालकर तुम आपस में ही जूझोगे।

मजबूर हो तुम जो मीलों पैदल ही चलोगे,
भला हाकिमों के ऐब देखने की गुस्ताख़ी कैसे करोगे?

ग़र कोरोना से बचे तो भूख या भीड़ से मरोगे,
मौत के असफ़ार में आख़िर कब तक बचोगे?

#आँचल 

Sunday 19 April 2020

मेरे डैडी



बिन इबादत मिलें जो वो ख़ुदा आप हैं,
नाम जिनसे मिला वो पिता आप हैं,
बरकतों के पीछे की दुआ आप हैं,
हम ज़हमत से दूर,रहमतों में आप हैं।

दस्तूर जहाँ का सब जाना आपसे,
अनुशासन का मोल पहचाना आपसे,
कर्तव्यों की राह को दिखाया आपने,
मनुजता ही धर्म सिखलाया आपने।

मान,ईमान हैं बहुमूल्य रतन,
मिलते ना फल बिन किए जतन,
संस्कारों से हीन का होता पतन,
आप ही से सीखे ये अनमोल वचन।

जन्नत का सारा सुख है वहाँ
होते पिता के पाँव जहाँ,
आप ही हैं धरती, आप ही आसमाँ,
आप से बड़ा ना रब ना जहाँ।

#आँचल 

Wednesday 8 April 2020

सुनो विनती हे राम दुलारे


भव सागर जो पार करे,
भक्ति वो पतवार बने।
बस राम नाम का बलधारे,
हनुमत सागर को पार करें।
जो धर्मशील हो धीर धरे,
बल,बुद्धि उसके साथ खड़े।
यह भेद राम का जान गए,
सो ही प्रभु के तुम दास बने।
अब मूरत में भगवान खड़े,
अंतर में रावण राज करे।
श्री राम चरित सब भूल रहे,
फिर झूठी माला क्यों फेर रहे?
सुनो विनती हे राम दुलारे,
हरो कुमति,सुमति जग व्यापे।
भीतर दंभी जो रावण राजे,
लंका दहन देख कर काँपे।
तब परमधर्म परहित को जाने,
सकल चरित राम हो जाए।
#आँचल