रूप मनोहर ऐसो पायो,कृष्ण प्रेम रंग मन मोरा रंगायो
कजरारी तोरी नीली अँखीया मन मोरा डूबे दिन रतीया,
मुरली मनोहर ऐसो बजायो,धुन में अपनो सुध को खोवायो
मधुर मधुर तूने मुरली बजायो तीनों लोक सब तुझमें समायो,
मुस्कान मनोहर ऐसो पायो,चित मोरा तुझमें रम जायो
मंद मंद चितचोर हँसे फिर गोपीयन को तूने चैन चुरायो,
शब्द मनोहर ऐसो पायो,अपनो मोह में जग को फँसायो
फिर गीता उपदेश सुनाकर मोह बंधन से जग को छुड़ायो,
रूप मनोहर ऐसो पायो कृष्ण प्रेम रंग मन मोरा रंगायो।।
-आँचल
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