जहाँ होए अँधेरा
वही निश्चर जागे
जहाँ ज्ञान उदित
वहाँ भयसे काँपे
जहाँ व्यापे कुमति
वहाँ रोगी पनपे
जहाँ बोए सुमति
संजीवनी जनमे
हो फल से विमुखता
यही कर्म योग है
हो फल आसक्त
यही कर्म दोष है
होए मल्ल अगर
सच झूठ के बीच
बल गिरे झूठ का
होए सच की जीत
हूँ जो मूढ़ी अज्ञानी
ज्ञान को क्या गाऊँ
आँचल हरी दासी
हरी बोल दोहराऊँ
#आँचल
ReplyDeleteहो फल से विमुखता
यही कर्म योग है
हो फल आसक्त
यही कर्म दोष है सही भाव प्रकट किए आपने सुंदर रचना आंचल जी
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया अनुराधा जी
Deleteसादर नमन शुभ संध्या
👏👏👏👏👏ज्ञान ध्यान का उत्तम संगम पढ़े गुने तो दूर हो मति भ्रम ....बेहतरीन लेखन आँचल ....वाह
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी बस
Deleteहमने तो कोशिश की है बाकी भ्रमित का भ्रम नारायण दूर करें यही प्रर्थना है
सादर नमन शुभ संध्या
नीति और सन्देश का सुन्दर संगम अभिव्यक्त हुआ प्रस्तुति में। बधाई एवं शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपकी सराहना और बधाई गुरु आशीष के समान है बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
Deleteसादर नमन शुभ संध्या
बहुत सुंदर संदेशात्मक रचना।
ReplyDeleteइन छोटी-छोटी बातों मेंं जीवन की बड़ी सीख छिपी होती है।
जी बिल्कुल सही कहा आपने दीदी जी
Deleteआपकी टिप्पणी उत्साह बढ़ा गयी
बहुत बहुत धन्यवाद सादर नमन शुभ संध्या
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार 07-07-2018) को "उन्हें हम प्यार करते हैं" (चर्चा अंक-3025) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
Deleteवाह प्रिय आंचल बहुत छोटी छोटी मूल्यवान नैतिक बाते जिन्हें आपने काव्य रूप मे बहुत ही सुंदरता से प्रस्तुत किया
ReplyDeleteअप्रतिम अतुलनीय ।
ज्ञान का दीप जलते ही अज्ञान रूपी अंधकार
हमेशा के लिये अंतर्धान हो जाता है,
प्रज्ञाका दीप कोई आंधी बूझा नही सकती
अरे दीदी जी हम अज्ञानी क्या ज्ञान दीप जलायेंगे
Deleteहम तो बस कोशिश करते हैं की स्वयं श्री हरी ने जो ज्ञान दीप जला रखा उससे जितनी ऊर्जा जितना प्रकाश हमे मिला उसे दूसरों तक भी पहुँचा सकूँ
आपकी इस सकारात्मक संदेश देती सुंदर प्रतिक्रिया के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार सादर नमन शुभ संध्या
आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.com/2018/07/77.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
ReplyDeleteहमारी रचना को इस योग्य समझने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सर 🙇
DeleteVery deep, nicely penned.
ReplyDeletethank you so much respected Sir
Deleteसंदेशात्मक रचना।
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