जब एक 5-6 साल की नन्ही बच्ची के मन में देशभक्ति के भाव उमड़ते हैं तो वो माँ भारती से कुछ इस प्रकार कहती है.....
नन्ही सी आज जान हूँ
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी -2
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी -2
आए दुश्मनो की टोली
तो मौत उनको दूँगी
ए माँ तेरी रक्षा को
बंदूक हाथ लूँगी
तो मौत उनको दूँगी
ए माँ तेरी रक्षा को
बंदूक हाथ लूँगी
बलि से ना डरूँगी
बली जोश का धरूँगी
ए माँ तेरे आँचल को
लहू से मैं रंगूँगी
बली जोश का धरूँगी
ए माँ तेरे आँचल को
लहू से मैं रंगूँगी
नन्ही सी आज जान हूँ
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी
जो कदमो की ताल दूँगी
दुश्मन भी सकपकाए
रण छोड़ के वो जाए
हुंकार जो भरूँगी
दुश्मन भी सकपकाए
रण छोड़ के वो जाए
हुंकार जो भरूँगी
मुण्डमाल शत्रुओं का
अर्पण तुझे करूँगी
ए माँ तेरी खातीर ही
जिऊंगी और मरूँगी
अर्पण तुझे करूँगी
ए माँ तेरी खातीर ही
जिऊंगी और मरूँगी
नन्ही सी आज जान हूँ
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी -2
कल मैं बड़ी बनूँगी
पहनूँगी शान-ए-वर्दी
सीमा पे मैं लड़ूँगी -2
नन्ही सी आज जान हूँ.......
#आँचल
हमारी इस रचना को आप youtube पर भी सुन सकते हैं
https://youtu.be/WSul_IfLaN8
धन्यवाद
वाह बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया अनुराधा जी
Deleteसादर नमन सुप्रभात 🙇
हृदय स्पर्शी रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया अभिलाषा जी
Deleteसादर नमन सुप्रभात 🙇
शाब्बाश आँचल !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना !
ReplyDeleteDil ko chhu gaya, very nice.
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