सन्नाटे में भी यहाँ शोर है
राज कपटों का चहुँओर है
हर दिल में बसते कई चोर हैं
अच्छाई का तो बस ढोंग है
मक़सद तो सबका भोग है
हर साधु के मन में लोभ है
नीयत में सबके खोट है
हर रिश्ता देता बस चोट है
मीठे शब्दों में मिलता झोल है
नफ़रत का भावों में घोल है
सच की बुझती अब ज्योत है
झूठ से मिलती मन को ओत है
संस्कारों अब ना मोल है
कर्मों का ना कोई बोध है
धर्म के पीछे भी मन का लोभ है
अधर्म को मिलती धर्म की ओट है
तम कलयुग का अति घनघोर है
हरी नाम ही भव का छोर है
हरी में नित मन जो विभोर है
काले कलयुग में उसी की भोर है
राज कपटों का चहुँओर है
हर दिल में बसते कई चोर हैं
अच्छाई का तो बस ढोंग है
मक़सद तो सबका भोग है
हर साधु के मन में लोभ है
नीयत में सबके खोट है
हर रिश्ता देता बस चोट है
मीठे शब्दों में मिलता झोल है
नफ़रत का भावों में घोल है
सच की बुझती अब ज्योत है
झूठ से मिलती मन को ओत है
संस्कारों अब ना मोल है
कर्मों का ना कोई बोध है
धर्म के पीछे भी मन का लोभ है
अधर्म को मिलती धर्म की ओट है
तम कलयुग का अति घनघोर है
हरी नाम ही भव का छोर है
हरी में नित मन जो विभोर है
काले कलयुग में उसी की भोर है
#आँचल
संदेश प्रक्षेपित करती विचारोत्तेजक रचना जो वर्तमान संदर्भों को भावपूर्ण शैली में रेखांकित करती है।
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनाएं।
आदरणीय सर आप जैसे महान लेखक की सराहना गुरु के शुभ आशीष के समान है।
Deleteअपनी विशेष टिप्पणी के ज़रिये हमारा उत्साह और रचना का मान बढ़ाने के लिए हार्दिक आभार।
सादर नमन सुप्रभात 🙇
बहुत खूब ...
ReplyDeleteछोटे छोटे पर गहरी और दूर की बात कहते हुए शेर हैं ... बुहत प्रभावी जनमानस कोक सोचने पर विवश करते भाव ...
आदरणीय सर स्वागत है आपका हमारे blog पर
Deleteइन छोटे शेरों को आपकी बहुमूल्य सराहना मिल गयी ये स्वयं बड़े हो गये हार्दिक आभार आपका
सादर नमन सुप्रभात 🙇
वाह प्रिय आंचल आपने कितने सुंदर ढंग से आज का सटीक यथार्थ प्रतिबिंबित किया है।
ReplyDeleteसुंदर तुकांत रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी
Deleteआपकी सुंदर मनमोहक टिप्पणी सदा उत्साह बढ़ाती हैं
सादर नमन सुप्रभात 🙇
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 03 जुलाई 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय सर हमारी साधारण सी रचना को इस योग्य समझने के लिए
Deleteबिल्कुल आऊँगी
सादर नमन सुप्रभात 🙇
सुंदर रचना
ReplyDeleteहरी में नित मन जो विभोर है
काले कलयुग में उसी की भोर है
स्वागत है आपका हमारे blog पर आदरणीया
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद शुभ संध्या 🙇
बहुत ही भावपूर्ण रचना आपने तो गागर में सागर
ReplyDeleteभर दिया है आंचल जी
स्वागत है आपका हमारे blog पर आदरणीया
Deleteबस कोशिश की थी भावों को शब्दों में पिरोने की
हार्दिक आभार आपका शुभ संध्या 🙇
Bahut hi sundar.
ReplyDeletethank you so much respected Sir good evening
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-07-2018) को "कामी और कुसन्त" (चर्चा अंक-3021) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
हमारी रचना को इस योग्य समझने के लिए हार्दिक आभार आदरणीया राधा जी 🙇
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