चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
हौले से मन के पंख फैलाऊँ
पंख फैलाकर मस्त उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
यूँही बहारों संग बह जाऊँ
रंगो से अपने सब मन छू जाऊँ
गमो को भुलाकर फ़िर से उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
मधुकर के संग नए रागों को गाऊँ
बागों में कुसुम संग मैं खिलखिलाऊँ
फ़िर रस को चुराकर मगन उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
#आँचल
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
हौले से मन के पंख फैलाऊँ
पंख फैलाकर मस्त उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
यूँही बहारों संग बह जाऊँ
रंगो से अपने सब मन छू जाऊँ
गमो को भुलाकर फ़िर से उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
मधुकर के संग नए रागों को गाऊँ
बागों में कुसुम संग मैं खिलखिलाऊँ
फ़िर रस को चुराकर मगन उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
#आँचल
Are wah , Bahot acchi Kavita h .lagi raho
ReplyDeleteWase photo me mera naam likh ne ko Kis ne bola tha , m Khud watermark use nahi krti
अब आप ने ही कहा था की दोस्तों को पूछने की ज़रूरत नही है तो बस बिना पूछे लिख दिया और वैसे भी सबको पता होना चाहिए की इतनी सुंदर pic किसने ली है 😊
Deleteसराहना के लिए अति आभार 😊🙏
बेहतरीन रचना.... चुपके से तितली मैं बन जाऊँ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteसुप्रभात 🙏
बहुत सुंदर लिखा है बेटा... Cute सी रचना 👏🏻👏🏻 😊
ReplyDeleteThank you sooo much bhaiya ji 😊🙏
Deleteमन की कोमल और मासूम भावनाओं का सुंदर पराग।
ReplyDeleteअति सुन्दर। आंचल जी।
शुभ संध्या ।
बहुत बहुत आभार दीदी जी
Deleteसुप्रभात 🙏😊
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ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
तुम तितली बन जाओ
मैं बन जाऊं तेरा गुलाब।
तुम सवाल बन जाओ
मैं बन जाऊं तेरा जवाब।
बहुत बहुत आभार आपका 🙏
Deleteआपकी पंक्तिया मनभावन सी है
बेहद सुंदर 👌
सुप्रभात 🙏
आपकी लिखी रचना सोमवारीय विषय विशेषांक "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 29 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी बिल्कुल आऊँगी Ma'am
Deleteअति आभार आपका
सुप्रभात 🙏
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद 🙏सुप्रभात
Deleteसुंदर कल्पना मै तितली बन जाऊँ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
Deleteसुप्रभात 🙏
बहुत प्यारी रचना आँचल जी..वाह्ह👌👌
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दीदी जी आपकी सराहना ने मान बढ़ा दिया मेरी पंक्तियों का
Deleteसुप्रभात 🙏🙏
बहुत सुंदर मनमोहक रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी 🙏
Deleteशुभ दिवस
सुंदर कोमल मनोभावों से सजी रचना..
ReplyDeleteअति आभार दीदी जी 🙏
ReplyDeleteशुभ दिवस
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
DeleteThanks🙏
ReplyDeleteतितली बन जाऊं ! कितनी सुंदर कल्पना !!!!!!!!! सुंदर रचना -----
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
Deleteअति आभार सुप्रभात 🙏
Deleteबहुत सुंदर!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर!!
ReplyDeleteअति आभार 🙏
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (05-02-2020) को "आया ऋतुराज बसंत" (चर्चा अंक - 3602) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मेरी इस पुरानी और साधारण सी रचना को चर्चा मंच पर स्थान देने हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteमधुकर के संग नए रागों को गाऊँ
ReplyDeleteबागों में कुसुम संग मैं खिलखिलाऊँ
फ़िर रस को चुराकर मगन उड़ जाऊँ
चुपके चुपके चुपके चुपके
बहुत ही सुंदर ,हर दिल की यही ख्वाहिश होती हैं ,सादर
उत्साहवर्धन हेतु बेहद शुक्रिया आदरणीया मैम। सादर प्रणाम 🙏
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