रिश्तों की डोर वो क्या जाने
जिसने बिखरे रिश्तों को नही देखा
यारों का शोर वो क्या जाने
जिसने सूनी शामों को नही देखा
नही देखी हो जिसने रातें जागकर
वो दीदार सुबह का क्या जाने
क्या जाने वो जश्न जीत का
कभी हार को जिसने नही देखा
नही देखा जिसने माँ का आँचल
फटकार पिता की नही देखा
क्या होते हैं माँ-बाप वो जाने
जिसने हाथ सिर पर इनका नही देखा
नही देखे जिसने खेल खिलौने
बचपन का मोल वही जाने
एक रोटी का मोल वो क्या जाने
कभी खाली थाली को जिसने नही देखा
अभावों के भाव वो क्या जाने
अभावों को जिसने कभी नही देखा
हर भाव जीवन का वही जाने
अभाव को जिसने कभी है देखा
#आँचल
मुखरित मौन में साझा होना तो मेरी रचना का सौभाग्य है
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया
सादर नमन
मेरी रचना को चर्चा मंच के योग्य समझने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
ReplyDeleteसादर नमन
बहुत सुंदर अभावों का भाव..प्रिय आँचल।
ReplyDeleteजीवन की कमियों को वही समझ सकता है जिसने उन कमियों को जीया है... मर्म समझाती सहज और सरल अभिव्यक्ति।
आपकी आवाज़ बहुत मीठी है। काव्य पाठ बहुत मधुर लगता है।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी।पंक्तियों में निहित भाव को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने रचना का मान और मेरा उत्साह खूब बढ़ा दिया है। आवाज़ तो आपकी भी शहद सी मीठी है।
Deleteअपना नेह आशीष यूँ ही हम पर बनाए रखाइएगा दी।
सादर नमन शुभ रात्रि
अभाव के भाव वही समझ सकते हैं जिन्होंने अभाव को देखा है जो जानते हैं अभाव से क्या होता है... मनुष्य जीवन में अभाव से आने वाले उतार-चढ़ाव की बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आपने दी है उतनी ही खूबसूरत आपकी आवाज है एक ठहराव है हर शब्द के बाद जो की गहराई तक चली जाती है आशा करती हूं ऐसी प्रस्तुतियां आप आगे भी देती रहेंगे धन्यवाद
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी रचना के मर्म को समझाती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने मेरी पंक्तियों की शोभा बढ़ा दी। मेरी आवाज़ आपको पसंद आयी ये तो सौभाग्य है मेरा। उत्साहवर्धन करते आपके नेह आशीष युक्त वचनों के लिए हृदयतल से हार्दिक आभार।
Deleteसादर नमन शुभ रात्रि
Too good
ReplyDeleteThank you so much ma'am for your kind words it means alot to me.
DeleteGood night sweet dreams.
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसुरीली आवाज़, शुद्ध उच्चारण।
पधारें अंदाजे-बयाँ कोई और
उत्साहवर्धन करते शब्द हेतु हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसादर नमन
सच कहा आंचल आपने बिन अभाव के कोई भी वस्तु या रिश्तों का मोल नहीं समझ सकता ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ढंग से अपने अभाव का हर दृष्टिकोण से विवेचन किया ।
सुंदर रचना सार्थकता लिए सुंदर काव्य प्रवाह।
प्रस्तुति भी शानदार,गहरा ठहराव लिए सुंदर काव्य पाठ।
Deleteओह...आदरणीया दीदी जी आपके सुंदर शब्दों के लिए बहुत बहुत आभार। हमने तो बस छोटा सा प्रयास किया था जिसे आपकी प्यारी सी प्रतिक्रिया ने सार्थक कर दिया।
Deleteसादर नमन शुभ रात्रि
thank you so much
ReplyDeleteHey your blog is amazing and your post is very helpful for every person. Always your blog help me for right decision. Moviemad,
ReplyDeleteसोचने को मजबूर करती हैं ये बातें ... बहुत सार्थक लिखा है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ढंग से विवेचन किया ।
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