बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Thursday 5 September 2019

गुरु की महिमा



बनूँ याचक जो साहिल सा
महासागर तू बनता है
तू देकर ज्ञान रत्नों सा
मेरे भंडार भरता है
कभी पत्थर भी तू दे दे
तो वो शिवलिंग कहलाए
बहे तेरे ज्ञान की सरिता
तो शालिग्राम दे जाए

हरे अंधियार जो मन का
तू उस दिनकर के जैसा
तपा कुंदन बना दे जो
तू उस अग्नि के जैसा है
गुरु महिमा से भारत पर
अर्जुन,मौर्य मिल जायें
तेरी कृपा हो तो हम भी
विवेकानंद हो जायें

समाज निर्माणकर्ता हे
नमन कोटिशः तुझे कर दूँ
गुरु वंदन सा हो जाए
दो पंक्ति एसी मैं लिख दूँ
तुझे कह दूँ जो मैं जगदीश
हरी का मान बढ़ जाए
तेरे चरणों में झुक  जाऊँ
मुझे भगवान मिल जायें

#आँचल

7 comments:

  1. शिक्षक दिवस की शभकामनाएं

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    1. उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय
      सादर नमन

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  2. वाह आंचल सच श्रृद्धा हो गुरु पर तो ऐसी हो ।
    बहुत बहुत सुंदर।
    शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी
      सादर नमन

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  3. अती भावपूर्ण अभिव्यक्ति । सरस, सरल किन्तु चिंतन योग्य ।

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  4. हार्दिक आभार आदरणीया मैम
    सादर नमन

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