बनूँ याचक जो साहिल सा
महासागर तू बनता है
तू देकर ज्ञान रत्नों सा
मेरे भंडार भरता है
कभी पत्थर भी तू दे दे
तो वो शिवलिंग कहलाए
बहे तेरे ज्ञान की सरिता
तो शालिग्राम दे जाए
हरे अंधियार जो मन का
तू उस दिनकर के जैसा
तपा कुंदन बना दे जो
तू उस अग्नि के जैसा है
गुरु महिमा से भारत पर
अर्जुन,मौर्य मिल जायें
तेरी कृपा हो तो हम भी
विवेकानंद हो जायें
समाज निर्माणकर्ता हे
नमन कोटिशः तुझे कर दूँ
गुरु वंदन सा हो जाए
दो पंक्ति एसी मैं लिख दूँ
तुझे कह दूँ जो मैं जगदीश
हरी का मान बढ़ जाए
तेरे चरणों में झुक जाऊँ
मुझे भगवान मिल जायें
#आँचल
शिक्षक दिवस की शभकामनाएं
ReplyDeleteउत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसादर नमन
वाह आंचल सच श्रृद्धा हो गुरु पर तो ऐसी हो ।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर।
शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी
Deleteसादर नमन
अती भावपूर्ण अभिव्यक्ति । सरस, सरल किन्तु चिंतन योग्य ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया मैम
ReplyDeleteसादर नमन
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