क्या लिखूँ?
लिखने को तो पूरा संसार है,
अनंत ब्रह्मांड है,
पर सब झूठ है!
और झूठ को बारंबार
कितने भी प्रकार से लिख दूँ
लिखा तो झूठ ही।
सत्य!
हा.. हा.. हा..
जो सत्य है वह
यह संसार न जानता है
न जानने की इच्छा रखता है
और इच्छा से चलने वाले
इस संसार में
'इच्छा' के विरुद्ध का सत्य
लिखकर भी क्या ही करूँ?
सब फिर झूठ हो जाएगा।
#आँचल
सच है
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 21 जुलाई 2025 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत खूब … संसार मिथ्या है
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