बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 25 July 2025

भूख



इंसान की भूख बहुत बड़ी है।
इतनी बड़ी कि वह 
पहले अपने हक़ का खाता है 
फिर दूसरों के हक़ का 
फिर भी भूख नहीं मिटती तो 
इंसान इंसान को खाता है 
फिर इस संसार को खाता है 
और खाते-खाते 
एक दिन वह 
ख़ुद को भी खा जाता है 
और भूख समाप्त हो जाती है।
#आँचल 

2 comments:

  1. वाह!
    न्यूनतम शब्दों में व्यापक संदेश देती रचना. इंसान की अंतहीन भूख ख़ुद को खाकर ही मिटती है.

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