बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 30 September 2023

षड्यंत्रों के आगे भविष्य के सूरज को डूबे देखा है,
फैले हुए इन हाथों में लुक-छुप करती रेखा है,
इन नन्ही-नन्ही आँखों में रंगों को 
मरते देखा है,
क्यों माँओं को भी इनके इनका स्वप्न मारते देखा है।
#आँचल 


Saturday, 9 September 2023

देहवास का मिला है श्राप

सोच रही हूँ क्यों
निश्छल,निष्पाप आत्माओं को 
देहवास का मिला है श्राप?
विकारों की मलिनता,
छल,प्रपंच और भीरूता
ढोंग भरा अनुराग!
हाय!मनु-संग है संताप
किस अपराध का है यह त्रास?
देहवास का मिला है श्राप।
#आँचल

Monday, 4 September 2023

मैं सजनी बनी श्याम पिया की

 


मैं सजनी बनी श्याम पिया की

अद्भुत कर शृंगार चली

मैं सजनी बनी श्याम पिया की।

प्रीत-डगर पे चलते-चलते 

झाँझर रीत की तोड़ चली

छूट गई माया कंचन की 

वैराग्य की चूनर ओढ़ चली

पंच-रत्न की सजा के वेदी 

सप्त-भुवन को लाँघ चली 

मैं सजनी बनी श्याम पिया की 

अद्भुत कर शृंगार चली।


#आँचल