बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday, 26 January 2022

जागो हे नवयुग के दाता।




भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।

हे भव-भूषण,हे भव-नेता,
जागो हे नव-राग प्रणेता,
सुख की शय्या त्याग करो अभी,
वीरों-सा शृंगार करो अभी,
धारण कर साहस का चोला 
चूमो रे संघर्ष हिंडोला।

भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।

आलस तज कर्तव्य को साधो,
सुप्त चेतना से कहो,जागो,
स्व से स्वयं सन्यास धरो अभी,
जप-तप कर चैतन्य बनो अभी,
तारणहार बन भुवन भास्कर 
तमस हरण कर, दो शुभ बेला।

 भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।

भुजबल,विवेक के शस्त्र को साधो,
समर शेष है! सज हो साधु,
तन-मन-धन बलिदान करो अभी,
जन-गण का कल्याण करो अभी,
भारती के हे सुयश सारथी 
शौर्य-शिखर पर बढ़ा दे टोला।

भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।-2

#आँचल

Tuesday, 11 January 2022

आज हरि मैं दर तेरे आई

 


आज हरि मैं दर तेरे आई। -2

कल इस जग के काम बहुत थे,

राग बहुत,अनुराग बहुत थे 

ता में तेरी सुध बिसराई,

आज हरि मैं दर तेरे आई।-2

हाय!कैसी विपदा आई?

विपदा जो आई सुध तेरी लाई,

सुध आई तब कीरति गाई,

आज हरि मैं दर तेरे आई।-2

#आँचल



Saturday, 1 January 2022

खीर

लिए कटोरी हाथ में 
मन ऐसो सुख पाए,
जैसे तन बैकुंठ में 
आनंद के गुण गाए,
एक चम्मच जो खीर की 
मुँह में मेरे घुल जाए,
मोह-माया सब त्याग के 
हम शंकर सम डमरू बजायें,
धन्य-धन्य बड़ भाग मनुज के 
देवगण पछताए,
दिन भर हरि का नाम भजें 
और खीर प्रसादी पायें।
#आँचल ( खीर प्रेमी 😍)