कब आओगे साँवरा -2
जस भौंरा ना गाए कुसुम बिन -2
ना नाचे मयूरा बिन बदरा
तस मोरा ज़ियरा भी ना लागे -2
ना लागे बिन श्याम के भजना
कब आओगे साँवरा -2
मैं पंछी तुम डारी मुरारी -2
पंख लगे तो गगन बिहारी
जस नभ वट पंछी को सहारा -2
एक श्याम पिया होई हमारा
कब आओगे साँवरा -2
तू निर्मोही प्रीति ना जाने -2
प्रेम के राही जगरीत ना माने
बिन रसमो की मैं तेरी लुगाई -2
मन से मन की भयी सगाई
कब आओगे साँवरा -2
मैं बिखरी बिखरी साँवरिया
तड़प में तेरे भयी बाँवरिया
नित बैठी रस्ता निहारूँ
श्याम रात दिन सब गिन डालूँ
नम अँखीया अब सूख चली हैं
क्यू लागत तोहे देर भली है
अब ना लो मोऱी प्रीत परीक्षा
दे दो प्रभु मोहे रहम की भिक्षा
जो तुम ना आओगे हरी
तोरे प्रेम में डूब के मैं आऊँगी
छोड़ के बंधन तन आऊँगी
छलकत नयन के भाव बुलाए
हिय भी बस एक राग ही गाए
कब आओगे साँवरा
कब आओगे साँवरा -3
#आँचल
वाह वाह आँचल जी विरह राग की क्या बानगी सब कुछ प्रत्यक्ष दिखने लगा !
ReplyDelete🙏🙏🙏🙏🙏
विरह अगन व्यापे काव्य मैं
शब्द शब्द पजरौ जाये
तपत हियाँ की पल पल बोले
कब आओगे सांवरा
हिय मेरो निकसौ जाये !
अति आभार इंदिरा दीदी
Deleteकविता को विस्तार देती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने मेरे भावों को खूब समझा और मेरी रचना का मान बढ़ा दिया
शुक्रिया सुप्रभात 🙇
शुक्रिया
ReplyDeleteआभार
अभिनन्दन
हम आपका ब्लॉग फॉले कर लिए
अति आभार सखी
Deleteआपने हमे follow कर हमारा मान बढ़ा दिया हमे खुशी हुई
सधन्यवाद 🙇
Ati Sundar.. 👌👌👌
ReplyDeletethank you so much shivangi
Deleteसरस सुंदर विरह श्रृंगार भजन प्रिय आंचल जी आपका, गायन शैली मे अप्रतिम अभिराम।
ReplyDeleteदो पंक्तियां मेरी अर्पित श्यामजी को राधा की जुबानी ..
हरि आओ ना।
राधा हारी कर पुकार
हिय दहलीज पर बैठे हैं,
निर्मोही नंद कुमार
कालिनी कूल खरी गाये
हरि आओ ना।
वाह राधा रानी की व्याकुलता को खूब दर्शाया आपने दीदी जी
Deleteबहुत सुंदर
सधन्यवाद सुप्रभात 🙇
बहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeleteएक एक शब्द में स्नेह समाया है।
बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
Deleteसुप्रभात 🙇
बहुत बहुत बहुत सुंदर बिटिया
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दादासा
Deleteघणी ख्म्मा सुप्रभात 🙇
Beautiful write up,loved it a lot.
ReplyDeletethank you so much respected Sir
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-10-2019) को "बुरी नज़र वाले" (चर्चा अंक- 3488) पर भी होगी।
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रवीन्द्र सिंह यादव
चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसादर नमन
आँचल, बहुत सुन्दर गीत !
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसादर नमन शुभ रात्रि 🙏