बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Tuesday, 17 April 2018

ज़िंदगी से कदमताल मिलाना


अहसासों के पन्ने कुछ इस कदर पलट गए
बदले से हम और हमारे व्यवहार बदल गए
शायद समय है ये खुद से हार जाने का
या दौर है ये कुछ नया कर दिखाने का
ये वक़्त की कारस्तानी है
या उस रब की मेहरबानी है
जो गलतीया गिना रहा है
या लिख रहा नयी कहानी है
क्या बिगड़ रहे हैं मेरे अल्फाज़
या सुधर रहा है जीने का अंदाज़
ये काली अमावस की रात है
या है नयी सुबह का पैगाम है
कुछ मोती माल सा टूट गया है मुझमें
ना जाने क्यू
क्या बिखरने को
या नए ढंग से पिरोए जाने को
क्यू भटका भटका सा ये मन है
कही खो जाने को
या खुद में कुछ नया ढूंढ लाने को
क्या कुछ बदल गया है मुझमें
या कुछ बिगड़ा सँवर गया है मुझमें
कहीं नाराज़ तो नही ज़िंदगी
या बन गयी सख़्त कुछ सिखाने को
क्यू थम गए कदम
मंज़िल की राह में चलते चलते
क्यू रुक गए हैं हम
इन राहों पर बढ़ते बढ़ते
शायद ऐसे ही बढ़ता है कारवाँ मंज़िल की ओर
कभी गिरते कभी उठते
कभी बढ़ते कभी ठहरते
बदलाव के दसतूर को निभाते निभाते
ज़िंदगी से कदमताल मिलाते मिलाते
शायद ऐसे ही बढ़ता है कारवाँ
खुद को सिखाते सिखाते
शायद इसलिए रुक गए हैं कदम
शायद इसलिए थम गए हैं हम
खुद को कुछ सिखाने को
इस ज़िंदगी से कदमताल मिलाने को
शायद इसलिए बदल गए हैं हम
     
                                       #आँचल 

17 comments:

  1. जिंदगी का फलसफा इतना आसान नही
    के यूं समझ आ जाये
    सरकती रेत मुठ्ठी मे कब रूकी है
    थामना है तो खुद को थामो
    हाथ बढा के आसमा को धरा पे उतारो।

    वाह वाह रचना है प्रिय आंचल आपकी तारीफ करूं कितनी शब्द नही है मेरे पास, बस अपने भाव स्वतःआ गये प्रतिक्रिया मे।

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    1. वाह वाह दीदी जी अद्भुत सुंदर भाव प्रेरणा देती आपकी पंक्तियों ने हमारी कविता की शान बढ़ा दी
      और आपके भाव स्नेह आशीष बन गए जिनके छाँव में हम खड़े हो गए।
      इतनी मनमोहक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए अति आभार दीदी जी सुप्रभात 🙇

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी

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  3. अप्रतिम रचना
    वाह वाह !!

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    1. अति आभार पूजा जी सुप्रभात शुभ दिवस

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  4. अति आभार अमित जी आपके इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सुप्रभात शुभ दिवस

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  5. Every word is an expression Beautiful composition

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  6. 👌👌👌अति सुंदर आँचल जी ...रेत सरीखी जिंदगी
    मुट्ठी कब रुक पाय कदम बड़ा कर पकड़ो उसको दूर से तो भरमाय !

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    1. बेमिसाल मनमोहक प्रतिक्रिया दीदी जी
      सराहना के लिए अति आभार 🙇

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २३ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. अति आभार दीदी जी बिलकुल आऊँगी
      सुप्रभात 🙇

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  8. वाह!!अद्भुत !!.

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    1. अति आभार सुप्रभात

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  9. वाह!!!
    बहुत सुन्दर, सार्थक एवं लाजवाब...

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सुप्रभात

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