बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 23 June 2023

है कोई जग में परब्रह्म से ऊँचा?

फूलों से पूछा,कलियों से पूछा,
धरती,गगन और त्रिभुवन से पूछा,
जब पूछा तो सारे जग से ही पूछा 
किंतु किसी को कोई हल ही न सूझा!
तब जाकर सीधे परब्रह्म से पूछा -
"क्या है कोई जग में आप से ऊँचा?"
प्रभु सुनकर फिर हँसकर बोले, सुनो!
है ज्ञात जो जग को वह रहस्य सुनो!
मुझसे भी ऊँचा है जग में कोई दूजा 
चरणों में जिनके मैं भी हूँ झुकता,
मुझसे भी पहले जो सुनते तुम्हारी,
मुझसे भी पहले जो गुनते तुम्हारी,
उनसे ही तुमने इस जग को है जाना,
उनसे ही तुमने मुझको भी पहचाना,
जब सोचोगी,समझोगी तभी यह पहेली,
बूझोगी तब तुम इसको अकेली।
यूँ कहकर प्रभु फिर मौन हुए,
परब्रह्म के बोल पर मन में रहे,
खूब,सोचा-विचारा पर हल जब न पाया 
तब माया ने भ्रम का जाल हटाया 
और ज्ञात-रहस्य से पर्दा उठाया,
फिर देखा जो!देखा बड़े अचरज से मैंने,
परब्रह्म से ऊँचा पद जिनका था पाया 
उन मात-पिता को फिर शीश नवाया।

#आँचल 

Tuesday, 13 June 2023

यामिनी


 यामिनी तो रोज़ चाँद-तारों 

की बारात लिए आती है,

पर यह दुनिया ही उसे

देख कर मुँह बनाती है 

और नींद का बहाना कर 

आँखें मूँद लेती है।

उसके उर में छुपी ममता,

प्रेम और शीतलता को 

केवल वही समझ पाता है 

जो रात भर उसके 

साथ जागता है,

उसे आँख भर निहारता है 

और वही इस रहस्य को 

भी जानता है कि 

'यामिनी' वह विरहिणी है 

जो सत्य की पहली किरण को 

अपना सर्वस्व समर्पित करने हेतु 

रात भर अंधकार से जूझती है।


#आँचल