बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 31 March 2018

फरिश्ता सी तनहाई

जब सुख की संग घड़िया थी
किस्मत की लकीरें बढ़िया थी
तब जीत को मुठ्ठी में लिए
हम ही ज़माने के सिकंदर थे
किसी बेखौफ बादशाह से
उस खुदा से भी ना डरते थे
आगे पीछे सब अपने थे
दुश्मन तक जी हजूरी करते थे
फ़िर बदली करवट समय ने ऐसे
डूबी सागर में नौंका जैसे
जब लूट लिया किस्मत ने सबकुछ
और दूर हुए सब रिश्ते नाते
तब मैं तनहा लड़ता अर्णव से
और बस तनहाई मेरा साथ निभाती
जब डूब गया  था सूरज
मन अँधीयारे के बस  में था
चमचमाते तारों का नभ तब उसने ही दिखाया था
कहती वो हौसला तू रख
ज़िंदगी का नया स्वाद तू चख
फ़िर सुनाया उसने डूबते सूरज का पैगाम
ना जाता तो कैसे मिलती जगमग तारों की शाम
कहता फ़िर आऊँगा मैं
जब डूब जाएगा तेरे अंदर का "मैं"
जब बेखौफ बादशाह हराएगा अपने अंदर का भय
तब तक तू थाम ले हाथ तनहाई का
वो राह दिखाएगी तुझको
उदधि की लहरों में तैरना सिखायेगी तुझको फ़िर बोली तनहाई सुन
उठती गिरती लहरों की धुन
जो जीवन की सच्चाई दिखाती
सुख दुख दोनों आती जाती
अब रख हौसला मन में अपने
फ़िर से पूरे होंगे सब सपने
बस लड़ जा जीवन की लहरों से
फ़िर मिलेगा तू सुख के भौंरो से
तब फरिश्ता सी लगी तनहाई
जिसने खुदा सी रहमत दिखायी
जब विपदा में अपने थे पराए
तब एक साथी बन आयी तनहाई
                   
                              #आँचल

Saturday, 24 March 2018

इन्कलाब ज़िंदाबाद ✊


इन्कलाब ज़िंदाबाद ✊


हम चीख कर गीत ये गायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
सींघो सी दहाड़ लगायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुश्मन का शीश झुकायेंगे
इन्क्लाब ज़िंदाबाद
मुश्किल से ना घबरायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
माटी की शान बढ़ायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
मौत के खौफ हरायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
कुर्बानी भी अपनाएंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुष्टों का लहू बहाएन्गे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
दुश्मन का दिल दहलायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
सीना तान के फ़िर चिल्लायेंगे
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
इन्कलाब ज़िंदाबाद
✊✊✊✊✊
                              #आँचल