आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
Saturday, 30 September 2023
षड्यंत्रों के आगे भविष्य के सूरज को डूबे देखा है,
फैले हुए इन हाथों में लुक-छुप करती रेखा है,
इन नन्ही-नन्ही आँखों में रंगों को
मरते देखा है,
क्यों माँओं को भी इनके इनका स्वप्न मारते देखा है।
#आँचल
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
View mobile version
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment