मैं सजनी बनी श्याम पिया की
अद्भुत कर शृंगार चली
मैं सजनी बनी श्याम पिया की।
प्रीत-डगर पे चलते-चलते
झाँझर रीत की तोड़ चली
छूट गई माया कंचन की
वैराग्य की चूनर ओढ़ चली
पंच-रत्न की सजा के वेदी
सप्त-भुवन को लाँघ चली
मैं सजनी बनी श्याम पिया की
अद्भुत कर शृंगार चली।
#आँचल
बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteलेकिन ये - 'वैराग्य की चूनर ओढ़ चली' वाला समय अभी तुम दादी-नानी की उम्र वालों के लिए छोड़ दो.
वाह
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