जो इस तूफ़ानी रात के अँधेरे को
चीरने को बेताब हो!
मैं आज की रात
स्वप्न के बाज़ार में ठगना नहीं
उन्हीं जुगनुओं की महफ़िल में
बिकना चाहती हूँ।
#आँचल
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए