पट-पीतांबर,अधर मनोहर
मधुर-मधुर मुरलिया बाजे,
गल बैजंती माला राजे,
मोर-मुकुट,छलिया,घनश्यामा
बृजवासिन को चैन चुरावे,
गाए-गाए गुण ग्वाल सब झूमे,
ग्वालिन भोग ख्वावे रे,
धेनु उड़ावे धूरी घन-घन पर,
सुरवर बहुत पछतावे रे,
देखि दशा अस सुरजन की
लीलाधर मुस्कावे रे।
#आँचल
कृष्णमयी सुंदर प्रस्तुति ।।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीया मैम। सादर प्रणाम 🙏
Deleteवाह!,खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteपट-पीतांबर,अधर मनोहर
ReplyDeleteमधुर-मधुर मुरलिया बाजे,
गल बैजंती माला राजे,
मोर-मुकुट,छलिया,घनश्यामा
वाह!!!
बहुत ही सुंदर मनोहर...
कृष्ण कन्हैया का बहुत सुंदर मोहक वर्णन ।
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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