बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Thursday 16 December 2021

कर क्रीड़ा कोई हरि सुंदर


कर क्रीड़ा कोई हरि सुंदर,
मन तप जावे,होवे कुंदन।
बास न हो विकार की मन में,
चंदन-धर्म सुवासित तन पे।
अधरों पर प्रभु नाम तुम्हारा,
दो नैनन को तुम्ही सहारा।
भव-सिंधु माया का घेरा,
चरण-शरण हरि मिले किनारा।
चरण-शरण हरि मिले किनारा।

#आँचल 

8 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. वाह!ईष्ट के प्रति समर्पण का बखान करती मनमोहक रचना.
    बधाई एवं शुभकामनाएँ.
    लिखते रहिए.

    ReplyDelete
  3. भक्ति भाव पूर्ण सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर सृजन

    ReplyDelete
  5. भक्ति में समर्पित भाव अत्यंत सुंदर रचना।

    सस्नेह।

    ReplyDelete
  6. लाजवाब प्रस्तुति...
    भक्ति भाव मय।

    ReplyDelete