बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Tuesday 14 December 2021

राह न ताको सुख के सुमन की 
ये कलियाँ कभी खिलती नही हैं,
बाट न जोहो दुख के गमन की 
ये गलियाँ कभी चलती नही हैं,
बहती है नदिया,दो किनारों-सम संग सुख-दुख चलते हैं,
चलते हैं वो ही निष्कंटक जो समदर्शी होते हैं।
#आँचल 

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