बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 18 October 2019

मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी

दिनांक - 02/09/2017


मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी

गिरधर गिरधर तोहे पुकारूँ,
नारायण तोरा रस्ता निहारूँ,

लोग कहें मैं भयी बाँवरी,
तुम्हरे दरस को अधीर श्याम री,

तन होगा मोरा मिथ्या जगत में,
मन तो मोरा श्याम भजन में,

जग से नाता स्वार्थ-मोल का,
तुम से नाता विरह-प्रेम का,

तुझमें ही मैं रम जाऊँगी,
तुमसे दूर ना रह पाऊँगी,

मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी।

                                   #आँचल 

4 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25-11-2019) को "गठबंधन की राजनीति" (चर्चा अंक 3537) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं….
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. बेहद शुक्रिया आदरणीय सर मेरी पंक्तियों को चर्चा मंच के योग्य समझने हेतु।
      सादर प्रणाम 🙏

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. बेहद शुक्रिया। सादर नमन 🙏

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