दिनांक - 02/09/2017
मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी
गिरधर गिरधर तोहे पुकारूँ,
नारायण तोरा रस्ता निहारूँ,
लोग कहें मैं भयी बाँवरी,
तुम्हरे दरस को अधीर श्याम री,
तन होगा मोरा मिथ्या जगत में,
मन तो मोरा श्याम भजन में,
जग से नाता स्वार्थ-मोल का,
तुम से नाता विरह-प्रेम का,
तुझमें ही मैं रम जाऊँगी,
तुमसे दूर ना रह पाऊँगी,
मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी।
#आँचल
मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी
गिरधर गिरधर तोहे पुकारूँ,
नारायण तोरा रस्ता निहारूँ,
लोग कहें मैं भयी बाँवरी,
तुम्हरे दरस को अधीर श्याम री,
तन होगा मोरा मिथ्या जगत में,
मन तो मोरा श्याम भजन में,
जग से नाता स्वार्थ-मोल का,
तुम से नाता विरह-प्रेम का,
तुझमें ही मैं रम जाऊँगी,
तुमसे दूर ना रह पाऊँगी,
मैं कान्हा तोरी प्रेम दिवानी,
तुम जानत मोरे मन की वाणी।
#आँचल
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25-11-2019) को "गठबंधन की राजनीति" (चर्चा अंक 3537) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं….
*****
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहद शुक्रिया आदरणीय सर मेरी पंक्तियों को चर्चा मंच के योग्य समझने हेतु।
Deleteसादर प्रणाम 🙏
सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया। सादर नमन 🙏
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