तुम कहाँ गए बापू
देश तेरा भटक रहा -2
ये बाढ़ नही,है आँसु
जो नभ से छलक रहा -2
आज़ादी हुई कितनी पुरानी
पर भारत की वही कहानी -2
रोता ठगा हुआ किसान
सूली पर लटक रहा
तुम कहाँ गए बापू....
कितने सितम सहे तुमने
कितने लाल शहीद हुए -2
इस वतन पे चोट करी उसने
जो सत्ता के मुरीद हुए
लिए सांस्कृतियों की थाती
सब जग में पहुँच रही ख्याति
हर तर्ज पर मुल्क गतिमान
धर्म पर अटक रहा
तुम कहाँ गए बापू....
सत्य,अहिंसा वृद्ध हो गए
झूठ और हिंसा धर्म हुए -2
सत्याग्रह भी कहीं खो गए
लिंचिंग में कितने प्राण गए
वो स्वावलम्बी चरखा तेरा
छूटा सूत का स्वदेशी फेरा
सिर ढके विदेशी परिधान
देश तेरा बहक रहा
तुम कहाँ गए बापू....
रिश्वत की दर पर महल खड़े
और पेट गरीब के रोज़ कटे -2
तड़पे भूख से कहीं कोई लाल
तेरी याद में सिसक रहा
तुम कहाँ गए बापू....
तुम कहाँ गए बापू
देश तेरा भटक रहा
ये बाढ़ नही,है आँसु
जो नभ से छलक रहा -2
तुम कहाँ गए बापू....
#आँचल
.., बेहद खुशी हुई तुम्हारी रचना को देखकर तुम्हारा युवा मन बापू के आदर्शों को स्वीकारता है । वरना तो वर्तमान के युवा बापूजी के प्रति नकारात्मकता का भाव लेकर चल रहे हैं वाकई में बापू जी के आदर्श उनकी विचारधारा उनकी सोच समाज को साथ लेकर चलने की प्रबल इच्छा सभी आज के समय में धूमिल हो चुके हैं बहुत-बहुत बधाई तुम्हें इस रचना के लिए बहुत ही प्रभावशाली लिखा है तुमने
ReplyDeleteबहुत सुंदर, काव्य सृजन प्रिय आंचल।
ReplyDeleteद्रवित व्यथित दिल की पुकार है बापू
अब सिर्फ आदर्शो की किताब का अध्ययन है बापू
आ भी गये तो इन दुर्दांत परिवेश में क्या करेंगें बापू
खुद का बुरा हाल देख कर रो पड़ेंगे बापू।
बहुत मारेगा बापू-इन-मेकिंग हाँ।
ReplyDeleteसमाज की दुर्दशा को व्यक्त करती बेहतरीन रचना ,सादर
ReplyDeleteबापू नहीं आने वाले
ReplyDeleteबस कि उनके विचार हमारी मन की बंजर भूमि पर उगाने होंगे।
सुंदर रचना।
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे
अद्भूत!
ReplyDeleteतात्कालिक समस्याओं को बेहतरिन ढ़ंग से प्रस्तुत किया है आपने। सच्च है कि हम बापू के विचारों से भटक गए हैं। आपकी यह रचना आत्मचिंतन करने में जरूर सहायता करेगी।
शुभकाना।
धन्यवाद!
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१३ -१०-२०१९ ) को " गहरे में उतरो तो ही मिलते हैं मोती " (चर्चा अंक- ३४८७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
तुम कहाँ गए बापू
ReplyDeleteदेश तेरा भटक रहा
ये बाढ़ नही,है आँसु
जो नभ से छलक रहा....
देश के प्रति यही आसक्ति आज की जरुरत है। आपकी भावनाओं को नमन।
बेहतरीन और लाजवाब सृजन आंचल जी ।
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