मात यशोदा द्वार पधारे
जोगी भेष शिव शंकर पुकारे
पलने में हैं तेरे नाथ हमारे
दिखा दे मुख, तेरे भरे भंडारे
शीश जटा,चंद्र भाल पर सोहे
रवि सम कांति मुखमंडल शोभे
बाल रूप दरस मन आतुर होए
शिंगी नाद संग प्रभु को जोहें
लिए भिक्षा माँ यशोदा आयें
संग मोती माणिक दक्षिणा लायें
सब ठुकरावे जोगी,दोगुना थमाए
ये पत्थर ना मइया हमे लुभाए
हम आए दूर कैलाश पर्वत से
लिए लालसा प्रभु दर्शन के
दुर्लभ दर्शन हरी बाल रूप के
होता है योग कई युगों बीत के
घबराई यशोदा,भय मन में व्यापे
जोगी भेष धरे मायावी लागे
करे प्रर्थना,हे भोले विपदा को टालें
भोली मइया भोले को ना पहिचाने
रची लीला लीलाधारी ने
प्रकटी माया श्री बनवारी से
दुर्बल काया,लठ साथ निभाए
बन बुढ़िया माया लड़खाती आए
यशोदा रानी तेरे भाग हैं जागे
दर तेरे भगवान पधारे
है भीम रूप,शम्भू भय हरते
ब्र्म्ह,हरी,शक्ति नित पूजे
लगी माया तब महिमा गाने
शंकर के सुंदर गुण-भेद बताने
तब दौड़ी मइया आनंद को लाने
शिव -मोहन की अद्भुत भेट कराने
सब देव धरा पर आने लगे
शंख,ढोल,मंजीरा बजाने लगे
जब हरी - हर नैन मिलाने लगे
सब उनपर पुष्प बरसाने लगे
कमल नयन के लोचन कजरारे
छटा धरा पे अधरों से आए
मुखमंडल तेज पे सूर्य लजाए
मनहारी श्याम भोले मन भाए
मगन भए नटराजन ऐसे
सुन मेघों को मयूरा झूमे जैसे
भरा भाव हृदय में वैरागी के ऐसे
साहिल को तड़पे उर्मि जैसे
सब देव अचरज में देखन लागे
माता आगे विधाता हारे
दो क्षण को गोद दे नाथ हमारे
बन याचक दाता भी माँगन लागे
भय,मोह व्याधा मन ऐसे साधे
प्रभु ओर पग बढ़त ना आगे
याचिका जोगी की यशोदा टाले
हरी आलिंगन रस भोले ना पावे
जो गंग उतरे तेरे चरणों से
नित जटा में मेरे वास करे
हे मोहन उन पद पंकज रज से
वंचित क्यू तेरा दास रहे
जो भोले के सुंदर भाव सुने
नारायण हीय भर आए
तुरत माया को संकेत दिए
लाला मंद मंद मुसकाए
प्रभु ठहरे हम भगत तुम्हारे
नित तेरे चरणों को ध्याए
मिला सुअवसर खाली ना जाए
बिन चरणारज सेवा को दास ना आए
कौन प्रभु कौन सेवक ना जाने
दोनों दूजे को बड़ माने
लगी माया दोनों को शीश नवाने
मायापति की आज्ञा चली निभाने
चरणधाम चली बुढीया लडखाए
जोगी की पदरज किर्ती सुनाए
देव ऋषि जिसे माथ सजाए
वो रज नीर्मल सब दोष मिटाए
ले रज कुंदन शिव चरण से
नंदलाला के ललाट सजाए
भाग्यविधाता के ऐसे भाग जगे
प्रफुल्लित कंज सम कान्हा हर्षाए
अब क्षण भर मुकुन्द से रहा ना जाए
तुरत माय को निमित्त बनाए
लाला को बुढ़िया गोद उठाए
शिव शंकर गोद पठाए
आनंदविभोर जो आनंद हुए
चित वैरागी चितचोर पे हारे
चूम चूम पग माथे लगाए
जोगी ऐसे प्रेम लुटाए
मगन हुए नटराजन झूमे
जग सारा उत्सव मनाए
ब्रम्हा,इंद्र सब ढोल पर नाचें
स्वंय सरस्वती,नारद गायें
नंदलाल को मइया के गोद थमाए
जोगी आशीर्वचन सुनाए
कर नमन हरी से विदा लिए
कैलाशी निज धाम को जाए
अकिंचन आँचल तेरी भगत जो ठहरे
भक्ति बस कीर्ति गाए
हरी हर तेरी लीला अद्भुत ये
वर्णन कौन कर पाए
अहोभाग्य प्रभु शब्द बन आए
स्वंय ये रचना रचाए
ऋणी बनी तेरे पद पंकज पूजे
ये दासी जयकार लगाए
बम भोले,जय कृष्ण हरे
रटत ये जीवन जाए
बम भोले,जय कृष्ण हरे
रटत ये जीवन जाए
-आँचल
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भक्ति रस में डूबी सुंदर रचना हेतु अनन्त शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसादर नमन
प्रिय आंचल -- एक अरसे बाद तुम्हारी इस सुंदर भावपूर्ण भक्ति रचना के साथ वापसी से अत्यंत ख़ुशी हुई | आशा है सब ठीक होगा | एल पौराणिक कथा को कितने भाव और श्रद्धा ऐ लिख डाला आपने | बहुत खूब और शाबास | हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |
ReplyDeleteआपके ये नेह वचन से हृदय गदगद हो गया आदरणीय दीदी जी। सब ठीक है बस कुछ व्यस्तता के कारण आ ना सकी। आप कैसी हैं?
Deleteइतने समय बाद कुछ लिखने बैठी तो थोड़ा डर था पर नारायण की कृपा थी जो उनकी लीला का वर्णन कर पाए और उसपर आपकी शाबाशी सोने पर सुहागा हो गईं।
हृदयतल से आपका आभार
प्रिय आंचल -- बहुत ही सुंदर रचना पाठ | आज जल्दी जल्दी में सुना है | अत्यंत मधुरता से प्रयास किया है कल वीडियो दुबारा देख सुनकर लिखते हूँ | हार्दिक स्नेह |
ReplyDeleteअरे कोई बात नही दीदी जी आपने इतना पढ़ लिया यही बहुत है और वैसे भी रचना लम्बी है
Deleteआपकी नज़र पड़ गयी बस और क्या चाहिए
बहुत बहुत धन्यवाद शुभ रात्रि
Kya baat hai bahut hi sundar
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया अनुराधा जी
Deleteतारीफ़ के लिए शब्दों का अभाव महसूस कर रहे हैं।
ReplyDelete👌👌👍 Keep it up..
thank you so much didi
Deletegood night
आपकी लिखी रचना "मुखरित मौन में" शनिवार 19 जनवरी 2019 को साझा की गई है......... https://mannkepaankhi.blogspot.com/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया दीदी जी
Deleteबिल्कुल!हम उपस्थित रहेंगे
शुभ रात्रि
हार्दिक आभार आदरणीय सर
ReplyDeleteSo beautifully penned, your devotion and faith reflecting through these words.
ReplyDeletethank you so much Respected Sarkar ji for your praiseful words
Deletehave sweet dreams good night
बहुत खूब आँचल जी,
ReplyDeleteआपका मेरी पोस्ट
उबलते पानी में मेंढक की कहानी पर स्वागत है..
हार्दिक आभार आदरणीय नीरज जी
Deleteअपने blog पर आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद
हम ज़रूर आयेंगे
सादर नमन शुभ रात्रि
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आँचल बेटे की। बहुत बहुत आशीर्वाद एवं प्यार
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सर
ReplyDeleteहम ज़रूर आयेंगे
हार्दिक आभार आदरणीय आपके नेह एवं आशीष के लिए
ReplyDeleteक्षमा चाहूँगी आपका परिचय नही मिला इस कारण पहचान ना सके
सादर नमन शुभ रात्रि
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
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