सभी दिशवासीयो को सादर नमस्कार
आज हम सभी 72 वे आजादी दिवस को मना रहे हैं। चहूँ ओर से देश तिरंगे में रंगा हुआ है,देश प्रेम की लहर हवाओ में बह रही है और आजादी का जश्न बडी धूमधाम से मनाया जा रहा है पर इन सबके बीच एक बात का बडा अफसोस है की विविधताओं के इस देश में जो एकता का रंग दिखाई देता था वो आज फीका दिख रहा है अफसोस है की आज धर्म-मजहब देश से ऊँचा हो गया है कुछ लोगों के लिए। आज तो बधाईयों में भी धार्मिक रंग चढा हुआ,कोई देश को अपने धर्म से जोड रहा है तो कोई मजहब से और इस तरह देश की एकता पर खतरे का बादल मँडराने लगा है।
आज सवाल है मेरा आप सभी से कि अगर एक पेड़ पर तमाम विविधताओं के साथ फूल,पत्ते,फल,पक्षी,वानर,सर्प आदि मिल जुलकर एक साथ प्रेम से रह सकते हैं तो प्रकृती को पूजने वाला ये देश क्यु एकता में घुट रहा है। शायद भूल रहा है ये देश की फिरंगियों से आजादी तो 1857 में मिल जाती पर उस वक्त तक तो सब अलग अलग होकर एक ही दुश्मन से अपने अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे और यही कारण था जो उन दुष्ट फिरंगियों से हम जीत ना सके और जब 1947 को हमे आजादी मिली तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण देश की एकता थी। उस वक्त ना कोई हिंदू था ना मुस्लिम हर कोई राष्ट्रवादी था और राष्ट्र हित में मन,कर्म और वचन से समर्पित था । ये जो आजादी की साँस आज हम सब ले रहे हैं ये उन्ही देश पर मर मिटने वालों की क़ुरबानीयो का नतीजा है जो अपने धार्मिक चोले को छोड बस एक ही राग अलापते थे "मेरा रंग दे बसंती चोला मेरा रंग दे बसंती चोला "......
आज आजादी की 72 वी वर्षगांठ है इस अवसर पर यही कामना है की ये आजादी सदा बनी रहे और देश उन्नती की ओर बढता रहे पर सवाल यह है की बँट कर क्या ऐसा संभव है?
कभी अपने धर्म मजहब के बैर से फुर्सत मिले तो विचार कीजिएगा की कही आप वापस से गुलामी की ओर तो नही बढ रहे हैं?और इस तरह आपस में ही लड़ कर देश की एकता को खंडीत कर देश की खुशीय़ो का गला तो नही घोट रहे हैं?
अभी भी वक्त है समझ जाइये की देश की ताकत उसकी एकता में है उसकी अखंडता में है। टुकड़ों में बँटकर देश का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा और अगर बँटना ही था तो फिर तो व्यर्थ थी आजादी के परवानो की वो सारी कुरबानीयाँ।
अभी भी कुछ नही बिगडा है छोड दीजिए अपने ही देशवासियो से ये बेवजह की दुश्मनी और साथ मिलकर वतन के लिए
लड़िए वतन के दुश्मनों से लड़िए
अन्यथा आगे आप सब खुद समझदार हैं
हम तो बस जाते जाते इतना ही कहेंगे कि भारतीय तो आप सभी हैं पर आप सब में सच्चा देशभक्त वही है
जिसके लिए ना कोई हिंदू है ना मुसलमान हर भारतीय है माँ भारती की संतान
जिसके लिए ना रंग हरा है ना भगवा बस तिरंगा है उसका अपना
आप सभी भारतीयों को आँचल की ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जय हिंद जय भारत
वंदे मातरम
जय हिंद जय भारत
वंदे मातरम
🇮🇳
सत्य कहा है आपने देश से बढकर कुछ भी नहीं
ReplyDeleteकाश की ये बात हर हिंदुस्तानी समझ सकता ... देश से पहले अपना स्वार्थ देखने वाले कब बदलेंगे ...
ReplyDeleteसार्थक सुंदर रचना है ...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (17-08-2018) को "दुआ करें या दवा करें" (चर्चा अंक-3066) (चर्चा अंक-3059) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसत्यता का उदबोधन देता देश प्रेम का सुंदर पाठ पढाता बहुत सार्थक आलेख ।
निमंत्रण विशेष :
ReplyDeleteहमारे कल के ( साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक 'सोमवार' १० सितंबर २०१८ ) अतिथि रचनाकारआदरणीय "विश्वमोहन'' जी जिनकी इस विशेष रचना 'साहित्यिक-डाकजनी' के आह्वाहन पर इस वैचारिक मंथन भरे अंक का सृजन संभव हो सका।
यह वैचारिक मंथन हम सभी ब्लॉगजगत के रचनाकारों हेतु अतिआवश्यक है। मेरा आपसब से आग्रह है कि उक्त तिथि पर मंच पर आएं और अपने अनमोल विचार हिंदी साहित्य जगत के उत्थान हेतु रखें !
'लोकतंत्र' संवाद मंच साहित्य जगत के ऐसे तमाम सजग व्यक्तित्व को कोटि-कोटि नमन करता है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeletethanks for sharing such an piece of information with us.
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