बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Thursday, 24 January 2019

ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ



ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
आज लिखूँ या कल लिखूँ
या लिखूँ दोनों का परवान
तुझे द्योतक अंधकार का लिखूँ
या लिखूँ नवल प्रभात का दूत
तुझे जोगन का जाप लिखूँ
या लिखूँ प्रेम गीत विभूत
करें रतजगा उनका तुझे मीत लिखूँ
या लिखूँ अवसादों का विश्राम
सोम को तेरा सरताज लिखूँ
या लिखूँ तारों को तेरा शृंगार
तम को तेरा गर्व लिखूँ
या लिखूँ दिवा का तुझसे अभिमान
शुभ लिखूँ या अशुभ
या लिखूँ दोनों की तुझे पहचान
कवि मन सदा मेरा सोचता
ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
या लिखूँ तुझे बस "रात"
#आँचल

22 comments:

  1. वाह! बहुत सुंदर!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन सुप्रभात

      Delete
  2. बहुत सुन्दर सृजन
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया
      सादर नमन

      Delete
  3. रात का मनोहारी वर्णन। गज़ब की कल्पनाशक्ति। बधाई।

    ReplyDelete
    Replies
    1. हृदयतल से आभार आदरणीया
      सादर नमन

      Delete
  4. तम को तेरा गर्व लिखूँ
    या लिखूँ दिवा का तुझसे अभिमान
    ऐ रात तुझे मैं क्या लिखूं .
    बहुत सुन्दर रचना आदरणीय आँचल जी।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन

      Delete
  5. मर्मस्पर्शी सृजन की विशेषता यही है कि पाठक या श्रोता के अंतःकरण में हलचल पैदा हो जाय। उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाएँ। आपका विराट कल्पनालोक नये आयाम लेकर आता है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. उत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
      हम तो बस प्रयास करते हैं बाकी तो आप सबकी संगत और आशीष का असर है
      सादर नमन सधन्यवाद

      Delete
  6. बहुत ही बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया
      सादर नमन

      Delete
  7. अतिसुन्दर प्रिय बहन!! जितने सुंदर भाव उतनी ही सुंदर प्रस्तुति सच मन में अनुराग जगाती सुंदर रचना।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आपके नेह आशीष के लिए हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी
      सादर नमन सुप्रभात

      Delete
  8. हार्दिक आभार आदरणीय सर

    ReplyDelete
  9. हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी
    सादर नमन सुप्रभात

    ReplyDelete
  10. बहुत सुंदर भाव.. बहुत खूब........ लाजबाब ,सादर स्नेह आँचल जी

    ReplyDelete
  11. "कवि मन सदा मेरा सोचता
    ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
    अंत लिखूँ या आग़ाज़
    या लिखूँ तुझे बस "रात" "

    अद्भुत!

    ReplyDelete
  12. रात...अन्त या आगाज...
    बहुत सुन्दर रचना....

    ReplyDelete
  13. इसी "रात" में ही तो है सब कुछ... हमारे पास निशब्द सा.
    उम्दा भाव... आपकी आवाज बहुत प्यारी है...लिखते रहें,गुनगुनाते रहें.

    ReplyDelete
  14. Loved the interpretations, nice presentation and recitation.

    ReplyDelete
  15. बहुत खूब........ लाजबाब

    ReplyDelete