ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
आज लिखूँ या कल लिखूँ
या लिखूँ दोनों का परवान
तुझे द्योतक अंधकार का लिखूँ
या लिखूँ नवल प्रभात का दूत
तुझे जोगन का जाप लिखूँ
या लिखूँ प्रेम गीत विभूत
करें रतजगा उनका तुझे मीत लिखूँ
या लिखूँ अवसादों का विश्राम
सोम को तेरा सरताज लिखूँ
या लिखूँ तारों को तेरा शृंगार
तम को तेरा गर्व लिखूँ
या लिखूँ दिवा का तुझसे अभिमान
शुभ लिखूँ या अशुभ
या लिखूँ दोनों की तुझे पहचान
कवि मन सदा मेरा सोचता
ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
या लिखूँ तुझे बस "रात"
अंत लिखूँ या आग़ाज़
आज लिखूँ या कल लिखूँ
या लिखूँ दोनों का परवान
तुझे द्योतक अंधकार का लिखूँ
या लिखूँ नवल प्रभात का दूत
तुझे जोगन का जाप लिखूँ
या लिखूँ प्रेम गीत विभूत
करें रतजगा उनका तुझे मीत लिखूँ
या लिखूँ अवसादों का विश्राम
सोम को तेरा सरताज लिखूँ
या लिखूँ तारों को तेरा शृंगार
तम को तेरा गर्व लिखूँ
या लिखूँ दिवा का तुझसे अभिमान
शुभ लिखूँ या अशुभ
या लिखूँ दोनों की तुझे पहचान
कवि मन सदा मेरा सोचता
ए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
या लिखूँ तुझे बस "रात"
#आँचल
वाह! बहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteउत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसादर नमन सुप्रभात
बहुत सुन्दर सृजन
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया
Deleteसादर नमन
रात का मनोहारी वर्णन। गज़ब की कल्पनाशक्ति। बधाई।
ReplyDeleteहृदयतल से आभार आदरणीया
Deleteसादर नमन
तम को तेरा गर्व लिखूँ
ReplyDeleteया लिखूँ दिवा का तुझसे अभिमान
ऐ रात तुझे मैं क्या लिखूं .
बहुत सुन्दर रचना आदरणीय आँचल जी।
उत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteसादर नमन
मर्मस्पर्शी सृजन की विशेषता यही है कि पाठक या श्रोता के अंतःकरण में हलचल पैदा हो जाय। उत्कृष्ट रचना। बधाई एवं शुभकामनाएँ। आपका विराट कल्पनालोक नये आयाम लेकर आता है।
ReplyDeleteउत्साह बढ़ाने हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteहम तो बस प्रयास करते हैं बाकी तो आप सबकी संगत और आशीष का असर है
सादर नमन सधन्यवाद
बहुत ही बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया
Deleteसादर नमन
अतिसुन्दर प्रिय बहन!! जितने सुंदर भाव उतनी ही सुंदर प्रस्तुति सच मन में अनुराग जगाती सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपके नेह आशीष के लिए हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी
Deleteसादर नमन सुप्रभात
हार्दिक आभार आदरणीय सर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी
ReplyDeleteसादर नमन सुप्रभात
बहुत सुंदर भाव.. बहुत खूब........ लाजबाब ,सादर स्नेह आँचल जी
ReplyDelete"कवि मन सदा मेरा सोचता
ReplyDeleteए रात तुझे मैं क्या लिखूँ
अंत लिखूँ या आग़ाज़
या लिखूँ तुझे बस "रात" "
अद्भुत!
रात...अन्त या आगाज...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना....
इसी "रात" में ही तो है सब कुछ... हमारे पास निशब्द सा.
ReplyDeleteउम्दा भाव... आपकी आवाज बहुत प्यारी है...लिखते रहें,गुनगुनाते रहें.
Loved the interpretations, nice presentation and recitation.
ReplyDeleteबहुत खूब........ लाजबाब
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