घबराए से नारद जी
जो पहुँचे राम दरबार
भरत,लक्ष्मण,शत्रुघ्न संग
मारुति करें सत्कार
अभिवादन करते राम जी
पूछें क्या हैं हाल
शिकन माथे पर लाए हो
क्या है आज समाचार
सकपकाए से मुनिवर बोले
बहुत बुरा प्रभु हाल
धर्म कर्म के नाम
आया कैसा ये भूचाल
सत्ता के अधिकारियों ने
नाप लिया मैदान
साधु संतों में फूट पड़ी
भिड़ने को सब तैयार
हे राम तेरे नाम पर
कैसा ये घमासान
कोई मंदिर के नाम बवाल करे
कोई लेता राम अवतार
पक्ष -विपक्ष में अधर्म खड़े
बने बगुला भगत महान
राजनीति के खेल में
'राम' नाम ब्रह्मास्त्र
प्रभु आप स्वयं बताइए
किसके खड़े हैं साथ
चकित राम दरबार हुआ
देख राघव की मुस्कान
तभी पवनसुत आगे बढ़े
और पूछे हास का राज़
विनम्र भाव श्री राम कहें
मैं तो धर्म का नाथ
जहाँ पक्ष-विपक्ष अधर्म खड़ा
वहाँ मेरा क्या काम
जहाँ राग हो प्रेम का
वहीं राम निवास
जहाँ परचम विवादों का
वहाँ राम निकास
धरम-परम के नाम
बने संसद दो या लाख
राजनीति की नीव पर
सबका मक़सद स्वार्थ
बिन स्वार्थ राम का नाम जपे
वो हृदय राम का द्वार
हर मर्यादा का जो मान करे
वही राम अवतार
सियापति रामचंद्र की जय
#आँचल
वाह! क्या खूब खिंचाई की है! बधाई और आभार इस समीचीन, सार्थक और प्रासंगिक प्रस्तुति की.
ReplyDeleteउत्साह बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर सादर नमन शुभ दिवस
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (02-02-2019) को "हिंदी की ब्लॉग गली" (चर्चा अंक-3235) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक आभार आदरणीय सर
Deleteक्या बात है, बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर
हार्दिक धन्यवाद आदरणीया सादर नमन
Deleteसार्थक समयानुकूल रचना..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
बहुत खूब .........
ReplyDeleteसामायिक गतिविधियों पर करारा प्रहार करता सटीक व्यंग ।
ReplyDeleteबधाई प्रिय आंचल ।