बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 19 July 2025

रात

'सुबह जल्दी उठना है।'
इस चिंता को ओढ़कर 
सो जाने वाली रात 
काश!रागों में डूबते,
कविताओं में गोता लगाते,
और कहानियों के पृष्ठों को 
पलटते हुए बीत जाती।
#आँचल 

2 comments:

  1. अफसोस हम चिंताओं की अग्नि में ही जलते रहते है ।

    ReplyDelete