बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday, 4 May 2022

ओ एकलव्य की लेखनी



अरे ओ एकलव्य की लेखनी 
अपने दिलोदिमाग को इतना क्यों थकाती हो तुम?
क्या समझती हो
कि तुम्हारे कहे का कोई असर होगा किसी पर?
ये ज़माना तो राजघरानों के बालकों का है,
तुम्हारी कौन सुननेवाला है यहाँ?
आम जनता,गरीब नागरिक 
इनकी भी भला कोई सुनता है!
क्या हुआ?
क्या मेरे कहे पर यकीन नही?
तो जाकर पूछ उन द्रोणाचार्यों से
किंतु सावधान! 
इस सच को बर्दाश्त कर लेना 
कि तुम्हारी यहाँ वाहवाही तो है 
पर कोई सुनवाई नही।
#आँचल 

3 comments:

  1. किंतु सावधान!
    इस सच को बर्दाश्त कर लेना
    कि तुम्हारी यहाँ वाहवाही तो है
    पर कोई सुनवाई नही।
    बहुत सही....
    तुम्हारी कौन सुननेवाला है यहाँ?
    आम जनता,गरीब नागरिक
    इनकी भी भला कोई सुनता है!
    यहाँ तो जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली बात है , गरीबों की क्या विसात है।
    बहुत सुन्दर लाजवाब सृजन।


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  2. पता नहीं, मेरी टिप्पणी क्यों नहीं प्रकाशित हो पायी।

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