(प्रस्तुत पंक्तियाँ वर्तमान परिस्थितियों पर मेरी प्रतिक्रिया है। शोषित पांडव अर्थात् साधारण जनता के प्रति मेरा संदेश।)
तत्क्षण पांडव तजो द्यूत
और कुरुक्षेत्र को कूच करो,
स्वविवेक का शस्त्र धरो
और कर्मनिष्ठ हो युद्ध करो।
सह शोषण जो मौन को साधोगे
वनवास की पीड़ा भोगोगे
क्या दोगे परिचय जग को अपना?
अज्ञातवास को जाओगे।
आर्तनाद सुनकर भी जब
राजा सुख से सोता हो,
दुर्योधन की मनमानी पर
ढोंग के मोती बोता हो,
तब झूठ से ऐसा द्रोह करो,
राजा से यूँ विद्रोह करो,
तत्क्षण पांडव तजो द्यूत
और कुरुक्षेत्र को कूच करो।
शकुनी के पासों के आगे
कबतक ' आँसू ' जीतोगे?
लूटेगा वो तबतक तुमको
जबतक तुम लुटने दोगे।
सिंहासन अधिकार तुम्हारा,
तुम ही इसके राजा हो।
'राजा' जो है दास तुम्हारा
उसके चरणों में बैठे हो!!
त्याग दो एसी कायरता
और वीरों-सा शृंगार करो।
तत्क्षण पांडव तजो द्यूत
और कुरुक्षेत्र को कूच करो।
तत्क्षण पांडव तजो द्यूत
और कुरुक्षेत्र को कूच करो।
#आँचल
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (07-06-2021 ) को 'शूल बिखरे हुए हैं राहों में' (चर्चा अंक 4089) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
मंच पर मेरी रचना को शेयर करते हुए मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। यह रचना वर्तमान परिस्थितियों पर मेरी प्रतिक्रिया है। शोषित पांडव अर्थात् साधारण जनता के प्रति मेरा संदेश। पुनः आभार। सादर प्रणाम 🙏
Deleteजितना प्रभावी लेखन, उतना प्रभावी उच्चारण
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteबहुत सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteसह शोषण जो मौन को साधोगे
ReplyDeleteवनवास की पीड़ा भोगोगे
क्या दोगे परिचय जग को अपना?
अज्ञातवास को जाओगे।
सटीक, सुंदर रचना...🙏
👌🏻👌🏻
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ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteअपना युद्ध अपने आपको लड़ना पड़ता ।
ReplyDeleteसार्थक सृजन ।
जोशीला,यथार्थवादी सृजन ।
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