बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Monday, 14 June 2021

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर

 


ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल,

ढोलकी की थाप पर नाच रहे चोर,

चोरों की ताल पर नाचे जो राजा....

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

बाजे रे बाजा।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


काँए-काँए कौए के 

कड़वे हैं बोल,

कड़वे इन बोलों में मिश्रि तो घोल,

मिश्रि के घोल में झूठ के दाने....

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

कौआ लगा गाने।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


ढाँक-ढाँक रखो रे 

रानी की डोल,

रानी की डोल में राजा की पोल,

खोली जो पोल तो होगा हंगामा...

तक धिना धिन,तक धिना धिन 

नाचे सुदामा।

ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,

ढोंगी है ढोल।


#आँचल

8 comments:

  1. Day by day you are sharpening your skill of writing . Very expressive 💖

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    1. Oh!😀
      Thank you so much ma'am🙏
      Your words of appreciation means a lot to me.

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  2. Replies
    1. उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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