ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,
ढोंगी है ढोल,
ढोलकी की थाप पर नाच रहे चोर,
चोरों की ताल पर नाचे जो राजा....
तक धिना धिन,तक धिना धिन
बाजे रे बाजा।
ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,
ढोंगी है ढोल।
काँए-काँए कौए के
कड़वे हैं बोल,
कड़वे इन बोलों में मिश्रि तो घोल,
मिश्रि के घोल में झूठ के दाने....
तक धिना धिन,तक धिना धिन
कौआ लगा गाने।
ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,
ढोंगी है ढोल।
ढाँक-ढाँक रखो रे
रानी की डोल,
रानी की डोल में राजा की पोल,
खोली जो पोल तो होगा हंगामा...
तक धिना धिन,तक धिना धिन
नाचे सुदामा।
ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,
ढोंगी है ढोल।
ढाँप-ढाँप ढोंगी पर,
ढोंगी है ढोल।
#आँचल
Day by day you are sharpening your skill of writing . Very expressive 💖
ReplyDeleteOh!😀
DeleteThank you so much ma'am🙏
Your words of appreciation means a lot to me.
वाह
ReplyDeleteउत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏
Deleteबहुत सुन्दर
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 जून 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
खूब!!
ReplyDeleteबेहतरीन।
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