इंतजार में शबरी मइया
उमरिया अपनी घटाए रही हैं
उमरिया अपनी घटाए रही हैं
चख कर एक एक बेर को मइया
भक्ति का स्वाद बढ़ाए रही हैं
भक्ति का स्वाद बढ़ाए रही हैं
इंतजार में शबरी मइया उमरिया अपनी घटाए रही हैं
राह निहारत सिकुड़ी अँखीया
कब आयेंगे प्रभु बुढ़िया की कुटिया
चुनकर काँटे फूल सजाए
स्वागत में हरी के पथ को सजाए
बस रामा रामा के गुण गाए
भजत राम सब दिन को बिताए
चढ़ भक्ति की नइया को
मइया जीवन को पार लगाए
मान गुरु की आज्ञा शबरी
प्रभु पद पंकज को ध्यान लगाए
देख के भीलनी की भक्ति
भगवन भी आगे शीश झुकाए
राम लखन भाई की जोड़ी
कदम बढ़ाए शबरी की ओरी
जागे भाग लो शबरी के
जो जूठन खाए हरी एक भीलनी के
है अनुपम लीला प्रभु भक्ति की
जो प्रभु भी गाते है गुण शबरी के
ऐसी ही भक्ति निज मन भी समाए
इंतजार में हरी के जीवन कट जाए
जैसे पार लगी शबरी
ऐसे ही अपनी भी पार लग जाए
कब आयेंगे प्रभु बुढ़िया की कुटिया
चुनकर काँटे फूल सजाए
स्वागत में हरी के पथ को सजाए
बस रामा रामा के गुण गाए
भजत राम सब दिन को बिताए
चढ़ भक्ति की नइया को
मइया जीवन को पार लगाए
मान गुरु की आज्ञा शबरी
प्रभु पद पंकज को ध्यान लगाए
देख के भीलनी की भक्ति
भगवन भी आगे शीश झुकाए
राम लखन भाई की जोड़ी
कदम बढ़ाए शबरी की ओरी
जागे भाग लो शबरी के
जो जूठन खाए हरी एक भीलनी के
है अनुपम लीला प्रभु भक्ति की
जो प्रभु भी गाते है गुण शबरी के
ऐसी ही भक्ति निज मन भी समाए
इंतजार में हरी के जीवन कट जाए
जैसे पार लगी शबरी
ऐसे ही अपनी भी पार लग जाए
परम भक्तों की सूची में मइया भी
अपना नाम लिखवाए रही हैं
अपना नाम लिखवाए रही हैं
इंतजार में शबरी मइया
उमरिया अपनी घटाए रही हैं
उमरिया अपनी घटाए रही हैं
चख कर एक एक बेर को मइया
भक्ति का स्वाद बढ़ाए रही हैं
भक्ति का स्वाद बढ़ाए रही हैं
इंतजार में शबरी मइया उमरिया अपनी घटाए रही हैं
#आँचल
अथक भक्ति से सराबोर रचना, समर्पित भावों का पूनीत संगम ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
वाह !!!बहुत खूबसूरत रचना।
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