आत्म रंजन

बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

आत्म रंजन

बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday, 29 October 2025

सुनो दुष्यंत

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  सुनो दुष्यंत! मैंने तो बड़ी ख़ामोशी से  तुम्हारी ग़ज़लों में धधकती क्रांति की आग को बस  एक बार चखना चाहा था  पर तुमने तो इन्हें  श...
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Tuesday, 14 October 2025

यशोधरा हूँ मैं

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   कहो सखी  तुम क्यों न गई  देहरी के उस पार? बुद्ध गए हैं जहाँ  त्याग के यह संसार  मुक्ति की चाह में! नहीं सखी! अभी समय है मेरे जाने में। अभ...
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Wednesday, 24 September 2025

आज की स्त्री

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आज की स्त्री  ऑफ़िस जाती है, प्लेन उड़ाती है, दौड़ लगाती है, सीमा पर लड़ती है, आती है घर  भोजन पकाती है, बर्तन माँजती है, पालना झुलाती है, सँवा...
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Sunday, 27 July 2025

झूठ की ख़रीद

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  दिखाई और सुनाई देने वाला सत्य  सदा एक आश्चर्य-सा लगता है क्योंकि झूठ  अब बहुत आम हो चुका है  फिर भी हम ख़रीदने तो  झूठ ही जाते ...
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Friday, 25 July 2025

भूख

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इंसान की भूख बहुत बड़ी है। इतनी बड़ी कि वह  पहले अपने हक़ का खाता है  फिर दूसरों के हक़ का  फिर भी भूख नहीं मिटती तो  इंसान इंसान को खाता है  फि...
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Saturday, 19 July 2025

रात

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'सुबह जल्दी उठना है।' इस चिंता को ओढ़कर  सो जाने वाली रात  काश!रागों में डूबते, कविताओं में गोता लगाते, और कहानियों के पृ...
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झूठ

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  क्या लिखूँ? लिखने को तो पूरा संसार है, अनंत ब्रह्मांड है, पर सब झूठ है! और झूठ को बारंबार  कितने भी प्रकार से लिख दूँ लिखा तो झूठ ही। सत्य...
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