आत्म रंजन

बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

आत्म रंजन

बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Wednesday, 24 September 2025

आज की स्त्री

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आज की स्त्री  ऑफ़िस जाती है, प्लेन उड़ाती है, दौड़ लगाती है, सीमा पर लड़ती है, आती है घर  भोजन पकाती है, बर्तन माँजती है, पालना झुलाती है, सँवा...
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Sunday, 27 July 2025

झूठ की ख़रीद

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  दिखाई और सुनाई देने वाला सत्य  सदा एक आश्चर्य-सा लगता है क्योंकि झूठ  अब बहुत आम हो चुका है  फिर भी हम ख़रीदने तो  झूठ ही जाते ...
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Friday, 25 July 2025

भूख

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इंसान की भूख बहुत बड़ी है। इतनी बड़ी कि वह  पहले अपने हक़ का खाता है  फिर दूसरों के हक़ का  फिर भी भूख नहीं मिटती तो  इंसान इंसान को खाता है  फि...
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Saturday, 19 July 2025

रात

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'सुबह जल्दी उठना है।' इस चिंता को ओढ़कर  सो जाने वाली रात  काश!रागों में डूबते, कविताओं में गोता लगाते, और कहानियों के पृ...
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झूठ

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  क्या लिखूँ? लिखने को तो पूरा संसार है, अनंत ब्रह्मांड है, पर सब झूठ है! और झूठ को बारंबार  कितने भी प्रकार से लिख दूँ लिखा तो झूठ ही। सत्य...
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Thursday, 12 June 2025

रौशनी लिखो तो माने

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हाँ, लिखी होंगीं तुमने  रातों को जागकर  हज़ारों कविताएँ  पर घुप अँधेरे में  ज़रा एक बार  'रौशनी' लिखो  तो माने। #आँचल
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Thursday, 5 June 2025

अँधेरे के साम्राज्य में

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  आज फिर रात हो गई  'दिन' को ढोते-ढोते! आहिस्ता कंधों से उतार  उसे पटक दिया मैंने भू पर  फिर माथे से ढुलकते  तारों को समेटा आँचल में...
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