बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 19 July 2025

रात

'सुबह जल्दी उठना है।'
इस चिंता को ओढ़कर 
सो जाने वाली रात 
काश!रागों में डूबते,
कविताओं में गोता लगाते,
और कहानियों के पृष्ठों को 
पलटते हुए बीत जाती।
#आँचल 

झूठ

 



क्या लिखूँ?

लिखने को तो पूरा संसार है,

अनंत ब्रह्मांड है,

पर सब झूठ है!

और झूठ को बारंबार 

कितने भी प्रकार से लिख दूँ

लिखा तो झूठ ही।

सत्य!

हा.. हा.. हा..

जो सत्य है वह 

यह संसार न जानता है 

न जानने की इच्छा रखता है 

और इच्छा से चलने वाले 

इस संसार में 

'इच्छा' के विरुद्ध का सत्य 

लिखकर भी क्या ही करूँ?

सब फिर झूठ हो जाएगा।

#आँचल