'छोटी जाति' और 'बड़ी जाति' ये दो शब्द हमे हमारी मूर्खता का प्रमाण देते हैं।सृजनकर्ता ने जब हमारे सृजन में कोई भेद नहीं किया तो वर्गीकरण का अधिकार हमे किसने दिया?लाख पोथियों को रटने वाला व्यक्ति यदि जाति,लिंग,धर्म और अर्थ के आधार पर दृष्टि में अंतर रखता हो तो उसका ज्ञान झूठा है। निपट-निरक्षर होकर भी समदर्शी दृष्टि वाला व्यक्ति ही ज्ञानी है।
#आँचल
अत्यंत उत्तम भाव।
ReplyDeleteअच्छा लगा आपके विचार
ReplyDeleteउत्तम विचार
ReplyDeleteसादर