बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 19 August 2022

मैं अमरता की नहीं कोई प्यास लेकर आई हूँ




मैं अमरता की नहीं कोई प्यास लेकर आई हूँ,

मोक्ष की,वरदान की न चाह लेकर आई हूँ,

मैं समर्पण भावना से,नेह के उल्लास से,

प्रीत की गागर लिए सागर के द्वार आई हूँ।


मैं अमरता की नहीं......


नृत्य-नूपुर राधिका के मैं न बाँधे आई हूँ,

मैं नहीं मीरा की वीणा साथ लेकर आई हूँ,

मैं नहीं हूँ सूर जो अंतर में तुझको पा सकूँ,

धूल हूँ,चरणों की तेरे धूल होने आई हूँ।


मैं अमरता की नहीं......


रंग है,न रूप है,न संग में कोई कोष है 

मोह है,न क्षोभ है,न जग से कोई रोष है,

दोष है मेरा कि मैं उजली सुबह न हो सकी,

यामिनी से द्वंद्व में पर हार के न आई हूँ।


मैं अमरता की नहीं.....


संकल्प की अभिसारिका,कर्तव्य हेतु आई हूँ,

परिणय की अग्नि-शिखा को पार कर के आई हूँ,

ओढ़कर चूनर वैरागी प्रणय पथ पर आई हूँ,

शून्य हूँ, महाशून्य में अब लीन होने आई हूँ।


मैं अमरता की नहीं कोई प्यास लेकर आई हूँ,

मोक्ष की,वरदान की न चाह लेकर आई हूँ,


मैं अमरता की नहीं......


#आँचल 

2 comments:

  1. अतिसुंदर।शब्द शिल्प अनमोल।

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  2. बहुत सुन्दर आँचल, साहित्य के आकाश में तुमने अभी से चमकना शुरू कर दिया है.
    तुम्हारा काव्य-पाठ भी उच्चकोटि का है.

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