बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Saturday, 30 July 2022

निद्रा - विहार

जो सो चुके हों वे जाग जाएँ और जो जागने का ढोंग कर रहे हों कृपया ईमानदारी से सोए ही रहें, उन्हें जागने की आवश्यकता भी नहीं। वैसे भी धर्म की गोलियाँ लेने के बाद नींद की गोली लेने की लंबे समय तक आवश्यकता नहीं पड़ती और जब तक आपको आवश्यकता पड़ेगी तब तक धर्म का फिर कोई नया मुद्दा या यूँ कहें नींद की नई गोली तैयार रहेगी। आप चैन से सोइए। आप धर्मांध लोगों को यह बिल्कुल जानने की आवश्यकता नहीं है कि आपके धर्मपरायण देश में आपकी बंद आँखों के सामने कितने घोटाले,कितना भ्रष्टाचार हो रहा है। विकास की झूठी रसीदें दिखाकर किस प्रकार आपको ठगा जा रहा है। 

आपने जब अपने सेवकों को ही अपना कर्ता-धर्ता मान उन्हें अपने तिजोरियों की चाभी सौंप दी है तो अब आपको चाहिए कि आप वैराग्य धारण कर नींद की नौका पर सवार होकर कुंभकरण को भी पछाड़ते हुए स्वप्नलोक की तीर्थयात्रा पर इतने दूर निकल जाइए कि वापस लौटना ही न हो क्योंकि लौटने पर अर्थात जागने पर आपको यह जानकर अथाह कष्ट होगा कि आपने अपने साथ-साथ इस देश और समाज के दुर्भाग्य का भी चुनाव किया था।

देश में विकास के नाम पर कहाँ कौन अपनी जेब भर रहा है, कौन धर्मपाश में फँसाकर देश का दम घोंट रहा है, अस्पतालों , स्कूलों , विश्वविद्यालयों, बैंकों आदि में किस प्रकार भ्रष्टाचार और सियासी खेल चल रहा है, अपने पद का कहाँ कौन अनुचित लाभ उठा रहा है इन बातों से भला आपका क्या सरोकार? देश की आत्मा पर लगातार हो रहे प्रहार से आपके निजी जीवन पर कोई प्रभाव पड़ा भी तो क्या? रंगों के अधीन, मॉल में बिकने वाला, चुनावी रैलियों में सुनाई देने वाला और सांप्रदायिक दंगों में दिखाई पड़ने वाला आपका धर्म उन्नति के पथ पर अग्रसर रहे बस यही प्रार्थना आप सब अपने-अपने ईश्वर से करते हुए और किलो-किलो भर प्रसाद धरती पर अवतरित महापुरुषों को चढ़ाते हुए सुख-चैन से ए. सी. चलाकर सो जाइये। आपकी यह निद्रा-विहार मंगलमय हो और महंगाई,बेरोज़गारी, ग़रीबी आदि के दुःस्वप्न आपकी नींद में बाधक न हों  यही आप सभी के ईश्वरों से प्रार्थना है। शुभ रात्रि 🙏

#आँचल 

5 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (31-07-2022) को   "सावन की तीज का त्यौहार"   (चर्चा अंक--4507)    पर भी होगी।
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    कृपया लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. क्या यह आक्रोश केवल एक धर्म के लोगों के प्रति है ?

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  3. आंचल, राम का नाम जपते हुए परायों का ही क्या, स्वयं राम के माल को भी अपना समझने में कोई पाप नहीं है.
    भक्त और भगवान के आपसी संबंधों के बीच हम कैसे आ सकते हैं?

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  4. कौन सुन रहा है? बहरे सुन रहे हैं।

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