भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।
हे भव-भूषण,हे भव-नेता,
जागो हे नव-राग प्रणेता,
सुख की शय्या त्याग करो अभी,
वीरों-सा शृंगार करो अभी,
धारण कर साहस का चोला
चूमो रे संघर्ष हिंडोला।
भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।
आलस तज कर्तव्य को साधो,
सुप्त चेतना से कहो,जागो,
स्व से स्वयं सन्यास धरो अभी,
जप-तप कर चैतन्य बनो अभी,
तारणहार बन भुवन भास्कर
तमस हरण कर, दो शुभ बेला।
भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।
भुजबल,विवेक के शस्त्र को साधो,
समर शेष है! सज हो साधु,
तन-मन-धन बलिदान करो अभी,
जन-गण का कल्याण करो अभी,
भारती के हे सुयश सारथी
शौर्य-शिखर पर बढ़ा दे टोला।
भारत के हे भाग्यविधाता,
जागो हे नवयुग के दाता।-2
#आँचल