आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
आत्म रंजन
बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए
Tuesday, 14 December 2021
राह न ताको सुख के सुमन की
ये कलियाँ कभी खिलती नही हैं,
बाट न जोहो दुख के गमन की
ये गलियाँ कभी चलती नही हैं,
बहती है नदिया,दो किनारों-सम संग सुख-दुख चलते हैं,
चलते हैं वो ही निष्कंटक जो समदर्शी होते हैं।
#आँचल
1 comment:
आलोक सिन्हा
16 December 2021 at 08:54
सुन्दर रचना
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