बनारस वो स्थान है जहाँ भगवत प्राप्ति अर्थात् भक्ति,ज्ञान,वैराग्य,त्याग की प्राप्ति होती है। इसके घाट घाट में ज्ञान की अमृत धारा बहती है और गली गली में भक्ति की गूँज। यहाँ जीवन की मस्ती का रस भी है और यही जीवन कश्ती का तट भी है। यहाँ हर मोड़ पर एक शिवाला और हर कदम पर एक पान वाला मिल ही जाएगा। बनारस के हर कण की एक कहानी है। ये जितना पुराना है उतना ही नया है,जितना अल्हड़ है उतना ही सुसंस्कृत भी। ये स्वंय एक इतिहास है,सुंदर वर्तमान है और उज्ज्वल भविष्य भी। कला और साहित्य की पृष्ठ भूमि है ये और सियासत का मैदान भी। यहाँ की चाय चर्चा में रहती और गाय भौकाल में। ये स्वंय गुरु है शायद इसलिए यहाँ कोई चेला नही बस मेला है निर्मलता का,निरंतरता का,रीत,गीत संगीत का शक्ति का,भक्ति का और मुक्ति का। इसका अजब रंग,ढंग इसकी थाती है तो काशी विश्वनाथ और बी.एच.यू. इसकी ख्याति। ये सैलानियों का हुजूम है तो संध्या आरती की धूम। ये बुद्ध सा प्रबुद्ध है शुद्ध है और स्वंय में जीवंत है इसलिए जो यहाँ आता है वो यहाँ घूमता नही है वो इसे महसूस करते हुए इसे जीता है और स्वंय के भीतर इसे बसाता है और इसका आदी हो जाता है।
#आँचल
चित्र - साभार 'बनारसी मस्ती' फेसबुक पेज
वाह! बहुत सुन्दर। बनारस का पूरा चरित्र वर्णन कर दिया आपने और वो भी बेहतरीन ढंग से।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteसादर नमन शुभ संध्या 🙏
शब्द नहीं है ...इतनी खूबसूरत तरीके से तुमने पूरे बनारस की सैर करा दी बैठे-बिठाए हर एक पंक्तियां एक दूसरे की पूरक प्रतीत हो रही है। हर एक मोड़ पर शिवाला तो हर एक मोड़ पर पान वाला बनारस की गलियों का खाका खींच कर पूरे बनारस का जीवन दर्शन करा दिया तुमने... बहुत अच्छा लगता है तुम्हारे ब्लॉग् में आकर कुछ नया सा महसूस करती हूं हमेशा.. कवि कविता कभी कहानियां और कभी जीवन दर्शन से जुड़ी बातें सब में तुम्हारी पकड़ बहुत मजबूत है यूं ही लिखती रहो बहुत उज्जवल है तुम्हारा भविष्य धन्यवाद
ReplyDeleteआदरणीया दीदी जी आपके नेह युक्त शब्दों ने हमे मूक बना दिया।
Deleteदरअसल बनारस की खूबसूरती का वर्णन करती कविताएँ और लेख अक्सर पढ़ने को मिलते रहते हैं इसलिए बिना बनारस गए हम बहुत बार इस पर लिख चुके हैं पर बनारस की बात कुछ एसी है कि जितना लिखो उतना कम।
हमारे ब्लॉग पर आपका सदा स्वागत है दीदी जी पर जैसा हमने व्हाट्सप्प पर आज कहा कि हमारी रचनाओं में हमारा कोई योगदान नही बस नारायण की कृपा मात्र है🙏। शायद इसलिए आप सबकी सराहना का उत्तर देना हमारे लिए कभी सहज ना हुआ। पर फिर भी आपको हमारे ब्लॉग पर आना अच्छा लगा ये मेरा परम सौभाग्य और आप सबके आशीष का परिणाम है।
संवेदना से परिपूर्ण आपकी हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ भी सदा मन को मोहती हैं और मेरे शब्द ज्ञान को और बढ़ाती है। आपको पढ़ना हमारे लिए भी एक सुखद अनुभव है।
हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी। सादर नमन सुप्रभात 🙏
बहुत बहुत सुंदर प्रिय आंचल, इतने सुन्दर शब्दों का चयन उस पर तुकबंदी, गद्य में पद्य का सरस आनंद, और बनारस की विशेषताएं इतने छोटे में समेटना जैसे गागर में सागर ।
ReplyDeleteवाह के सिवा और कुछ नहीं बस वाह्ह्ह्
Kusum Kothari बेहद शुक्रिया आदरणीया दीदी जी 🙏
Deleteआपके सुंदर शब्दों ने मेरे प्रयास को सार्थक कर दिया।
सादर नमन सुप्रभात 🙏
वाह!प्रिय आँचल ,घर बैठे -बैठे ही बनारस घूम लिया मैंने तो 👌👌👌कितना खूबसूरत चित्र खी़चा है आपने अपने शब्दों द्वारा !!
ReplyDeleteआपकी सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से हार्दिक आभार आदरणीया दीदी जी। सादर नमन सुप्रभात 🙏
Deleteआँचल, बहुत अच्छा चित्रण किया है तुमने बनारस के जादू का.
ReplyDeleteमेरी छोटी बेटी रागिनी और दामाद शार्दुल दो साल पहले बंगलुरु से बनारस रहे तो तीन दिनों में उनका मन नहीं भरा. वो दोनों दुबारा गए, किसी हवेली में रहे, ख़ूब घूमे, खूब खाया, ख़ूब मस्ती की और अब भी बनारस उन्हें खींचता है.
आदरणीया रागिनी दीदी जी को मेरा नमस्ते 🙏।
Deleteबनारस की बात ही निराली है आदरणीय सर ये सबको आकर्षित कर अपनी माया में ऐसा फँसाती है कि जो एक बार वहाँ गया फिर उसका वहाँ से मन नही हटता।
हम स्वंय कभी बनारस नही गए पर इसके विषय में इतना पढ़ और सुन चुके हैं कि अक्सर कुछ ना कुछ लिख देते हैं इसकी शान में।
माणिकर्णिका घाट पर एक बार कुछ पंक्तियाँ लिखी थी हमने। नारायण ने चाहा तो घाट पर एक लेख के साथ उसे प्रस्तुत करूँगी।
आशीष युक्त आपकी सराहना हेतु बेहद शुक्रिया 🙏सादर नमन सुप्रभात 🙏
वाह प्रिय आँचल बहुत खूबसूरती से आपने वाराणसी के सौंदर्य का वर्णन किया है.
ReplyDeleteआदरणीया नानी जी आपके ये सुंदर शब्द मेरे लिए आशीष तुल्य है।
Deleteहार्दिक आभार आपका।
सादर नमन सुप्रभात 🙏
बनारस ...
ReplyDeleteसच में महसूस करने की जगह है ... जहाँ कण कण में शिव स्थित है वहां सत्य केवल महसूस हो सकता है ...