Sunday, 8 April 2018

कब आओगे साँवरा



कब आओगे साँवरा -2

जस भौंरा ना गाए कुसुम बिन -2
ना नाचे मयूरा बिन बदरा
तस मोरा ज़ियरा भी ना लागे -2
ना लागे बिन श्याम के भजना

कब आओगे साँवरा -2

मैं पंछी तुम डारी मुरारी -2
पंख लगे तो गगन बिहारी
जस नभ वट पंछी को सहारा -2
एक श्याम पिया होई हमारा

कब आओगे साँवरा -2

तू निर्मोही प्रीति ना जाने -2
प्रेम के राही जगरीत ना माने
बिन रसमो की मैं तेरी लुगाई -2
मन से मन की भयी सगाई

कब आओगे साँवरा -2

मैं बिखरी बिखरी साँवरिया
तड़प में तेरे भयी बाँवरिया
नित बैठी रस्ता निहारूँ
श्याम रात दिन सब गिन डालूँ
नम अँखीया अब सूख चली हैं
क्यू लागत तोहे देर भली है
अब ना लो मोऱी प्रीत परीक्षा
दे दो प्रभु मोहे रहम की भिक्षा
जो तुम ना आओगे हरी
तोरे प्रेम में डूब के मैं आऊँगी
छोड़ के बंधन तन आऊँगी
छलकत नयन के भाव बुलाए
हिय भी बस एक राग ही गाए
कब आओगे साँवरा

कब आओगे साँवरा -3

                                          #आँचल 

19 comments:

  1. वाह वाह आँचल जी विरह राग की क्या बानगी सब कुछ प्रत्यक्ष दिखने लगा !
    🙏🙏🙏🙏🙏
    विरह अगन व्यापे काव्य मैं
    शब्द शब्द पजरौ जाये
    तपत हियाँ की पल पल बोले
    कब आओगे सांवरा
    हिय मेरो निकसौ जाये !

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    1. अति आभार इंदिरा दीदी
      कविता को विस्तार देती आपकी सुंदर प्रतिक्रिया ने मेरे भावों को खूब समझा और मेरी रचना का मान बढ़ा दिया
      शुक्रिया सुप्रभात 🙇

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  2. शुक्रिया
    आभार
    अभिनन्दन
    हम आपका ब्लॉग फॉले कर लिए

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    1. अति आभार सखी
      आपने हमे follow कर हमारा मान बढ़ा दिया हमे खुशी हुई
      सधन्यवाद 🙇

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  3. सरस सुंदर विरह श्रृंगार भजन प्रिय आंचल जी आपका, गायन शैली मे अप्रतिम अभिराम।
    दो पंक्तियां मेरी अर्पित श्यामजी को राधा की जुबानी ..

    हरि आओ ना।

    राधा हारी कर पुकार
    हिय दहलीज पर बैठे हैं,
    निर्मोही नंद कुमार
    कालिनी कूल खरी गाये
    हरि आओ ना।

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    1. वाह राधा रानी की व्याकुलता को खूब दर्शाया आपने दीदी जी
      बहुत सुंदर
      सधन्यवाद सुप्रभात 🙇

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  4. बहुत खूबसूरत रचना
    एक एक शब्द में स्नेह समाया है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
      सुप्रभात 🙇

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  5. बहुत बहुत बहुत सुंदर बिटिया

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    1. बहुत बहुत आभार दादासा
      घणी ख्म्मा सुप्रभात 🙇

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  6. Beautiful write up,loved it a lot.

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  8. जी नमस्ते,


    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (14-10-2019) को "बुरी नज़र वाले" (चर्चा अंक- 3488) पर भी होगी।


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    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन

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  9. आँचल, बहुत सुन्दर गीत !

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय सर
      सादर नमन शुभ रात्रि 🙏

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