अहसासों के पन्ने कुछ इस कदर पलट गए
बदले से हम और हमारे व्यवहार बदल गए
शायद समय है ये खुद से हार जाने का
या दौर है ये कुछ नया कर दिखाने का
ये वक़्त की कारस्तानी है
या उस रब की मेहरबानी है
जो गलतीया गिना रहा है
या लिख रहा नयी कहानी है
क्या बिगड़ रहे हैं मेरे अल्फाज़
या सुधर रहा है जीने का अंदाज़
ये काली अमावस की रात है
या है नयी सुबह का पैगाम है
कुछ मोती माल सा टूट गया है मुझमें
ना जाने क्यू
क्या बिखरने को
या नए ढंग से पिरोए जाने को
क्यू भटका भटका सा ये मन है
कही खो जाने को
या खुद में कुछ नया ढूंढ लाने को
क्या कुछ बदल गया है मुझमें
या कुछ बिगड़ा सँवर गया है मुझमें
कहीं नाराज़ तो नही ज़िंदगी
या बन गयी सख़्त कुछ सिखाने को
क्यू थम गए कदम
मंज़िल की राह में चलते चलते
क्यू रुक गए हैं हम
इन राहों पर बढ़ते बढ़ते
शायद ऐसे ही बढ़ता है कारवाँ मंज़िल की ओर
कभी गिरते कभी उठते
कभी बढ़ते कभी ठहरते
बदलाव के दसतूर को निभाते निभाते
ज़िंदगी से कदमताल मिलाते मिलाते
शायद ऐसे ही बढ़ता है कारवाँ
खुद को सिखाते सिखाते
शायद इसलिए रुक गए हैं कदम
शायद इसलिए थम गए हैं हम
खुद को कुछ सिखाने को
इस ज़िंदगी से कदमताल मिलाने को
शायद इसलिए बदल गए हैं हम
#आँचल
जिंदगी का फलसफा इतना आसान नही
ReplyDeleteके यूं समझ आ जाये
सरकती रेत मुठ्ठी मे कब रूकी है
थामना है तो खुद को थामो
हाथ बढा के आसमा को धरा पे उतारो।
वाह वाह रचना है प्रिय आंचल आपकी तारीफ करूं कितनी शब्द नही है मेरे पास, बस अपने भाव स्वतःआ गये प्रतिक्रिया मे।
वाह वाह दीदी जी अद्भुत सुंदर भाव प्रेरणा देती आपकी पंक्तियों ने हमारी कविता की शान बढ़ा दी
Deleteऔर आपके भाव स्नेह आशीष बन गए जिनके छाँव में हम खड़े हो गए।
इतनी मनमोहक उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए अति आभार दीदी जी सुप्रभात 🙇
अद्भुत...👍👌
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद दीदी जी
Deleteअप्रतिम रचना
ReplyDeleteवाह वाह !!
अति आभार पूजा जी सुप्रभात शुभ दिवस
Deleteअति आभार अमित जी आपके इस उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए सुप्रभात शुभ दिवस
ReplyDeleteEvery word is an expression Beautiful composition
ReplyDeletethank you so much Sir
Delete👌👌👌अति सुंदर आँचल जी ...रेत सरीखी जिंदगी
ReplyDeleteमुट्ठी कब रुक पाय कदम बड़ा कर पकड़ो उसको दूर से तो भरमाय !
बेमिसाल मनमोहक प्रतिक्रिया दीदी जी
Deleteसराहना के लिए अति आभार 🙇
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २३ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
अति आभार दीदी जी बिलकुल आऊँगी
Deleteसुप्रभात 🙇
वाह!!अद्भुत !!.
ReplyDeleteअति आभार सुप्रभात
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सार्थक एवं लाजवाब...
बहुत बहुत धन्यवाद सुप्रभात
Delete