बस यही प्रयास कि लिखती रहूँ मनोरंजन नहीं आत्म रंजन के लिए

Friday, 11 April 2025

कोई जुगनू है क्या?

 कोई जुगनू है क्या?
जो इस तूफ़ानी रात के अँधेरे को 
चीरने को बेताब हो!
मैं आज की रात 
स्वप्न के बाज़ार में ठगना नहीं 
उन्हीं जुगनुओं की महफ़िल में
बिकना चाहती हूँ।
#आँचल  

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